राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पनडुब्बी यात्रा कर इतिहास रचा
राष्ट्रपति का ऐतिहासिक कदम
भारत की तीनों सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। वह भारत की दूसरी राष्ट्रपति बन गई हैं, जिन्होंने कर्नाटक के कारवार नौसैनिक अड्डे से एक पनडुब्बी की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान, राष्ट्रपति ने आईएनएस वाकशीर में सवार होकर समुद्र की गहराइयों में प्रवेश किया। इससे पहले, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने फरवरी 2006 में इसी तरह की यात्रा की थी। इस अवसर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी भी उनके साथ थे.
पनडुब्बी यात्रा का महत्व
राष्ट्रपति मुर्मू की यह यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण है। उन्होंने नौसेना की वर्दी पहनकर पनडुब्बी में प्रवेश किया। यह पनडुब्बी, P75 स्कॉर्पीन प्रोजेक्ट की छठी और अंतिम पनडुब्बी है, जिसे जनवरी में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। इससे पहले, राष्ट्रपति ने 29 अक्टूबर को अंबाला एयरफोर्स स्टेशन से राफेल विमान में उड़ान भरी थी, जिसमें स्क्वाड्रन लीडर शिवांगी सिंह पायलट थीं.
आईएनएस वाकशीर की विशेषताएँ
आईएनएस वाकशीर, जिस पनडुब्बी में राष्ट्रपति ने यात्रा की, एक डीजल-इलेक्ट्रिक स्कॉर्पियन कर्ववर क्लास की पनडुब्बी है। यह अत्याधुनिक नेविगेशन और ट्रैकिंग सिस्टम से लैस है और इसे 'साइलेंट किलर' कहा जाता है। यह पनडुब्बी 50 दिनों तक पानी के नीचे रह सकती है और 350 फीट की गहराई तक जा सकती है। इसमें छह टारपिडो ट्यूब्स हैं, जिनसे 18 टॉर्पिडो या SM39 एक्सोसेट मिसाइल दागी जा सकती हैं।
सुरक्षा का प्रतीक
राष्ट्रपति मुर्मू ने अक्टूबर में वायुसेना के राफेल लड़ाकू विमान में भी उड़ान भरी थी। तीनों सेनाओं की सुप्रीम कमांडर के रूप में सैनिकों से मिलना और उनकी तैयारियों का जायजा लेना भारत की सुरक्षा के प्रति एक महत्वपूर्ण संकेत है.