रावण ने कौशल्या का हरण: रामायण की अनकही कहानी
कौशल्या हरण की कथा
कौशल्या हरण की कथा
कौशल्या का अपहरण: रामायण में वर्णित है कि लंकापति रावण ने माता सीता का अपहरण किया था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इससे पहले उसने राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या का भी हरण किया था? यह घटना आनंद रामायण में मिलती है। आइए, इस कथा के बारे में जानते हैं।
एक बार त्रिलोक के सम्राट रावण ने अपनी मृत्यु के बारे में जानने की इच्छा जताई, ताकि वह अपने हत्यारे पर विजय प्राप्त कर सके और अमर हो सके। इस उद्देश्य से वह ब्रह्मा जी के पास गया और अपनी इच्छा व्यक्त की। ब्रह्मा जी ने कहा, "हे रावण! मृत्यु एक अनिवार्य सत्य है। जिसने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु निश्चित है। इस संसार में कोई भी अमर नहीं है।"
कौशल्या का हरण
ब्रह्मा जी ने यह भी बताया कि उसकी मृत्यु अयोध्या के राजा दशरथ और कौशल्या के पुत्र श्रीराम के हाथों होगी। रावण, जो अत्यंत ज्ञानी था, ने सोचा कि यदि दशरथ और कौशल्या विवाह न करें, तो राम का जन्म नहीं होगा और उसकी मृत्यु भी नहीं होगी। इस विचार के साथ, उसने एक योजना बनाई और राजा दशरथ और कौशल्या के विवाह के दिन माता कौशल्या का अपहरण कर लिया।
रावण की प्रसन्नता
कौशल्या का अपहरण करने के बाद, रावण ने उन्हें एक बक्से में बंद कर दिया और एक सुनसान द्वीप पर छोड़ दिया। इसके बाद वह चिंतामुक्त और प्रसन्न हो गया, क्योंकि उसे लगा कि उसने अपनी मृत्यु को टाल दिया है। देवर्षि नारद ने यह घटना राजा दशरथ को बताई। राजा दशरथ उस द्वीप पर गए और कौशल्या को बेहोश अवस्था में बक्से में पाया।
राजा दशरथ ने कौशल्या को अयोध्या लाया, जहां विधिपूर्वक उनका विवाह हुआ। इसके बाद भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में अवतार लिया और रावण का संहार किया। यह कहानी हम सभी को ज्ञात है।
ये भी पढ़ें: उत्पन्ना एकादशी 2025: उत्पन्ना एकादशी के दिन पढ़ें ये व्रत कथा, बन जाएंगे सभी बिगड़े काम!
(इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है। मीडिया चैनल इसकी पुष्टि नहीं करता है.)