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रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज को दी चुनौती, कहा संस्कृत बोलकर दिखाएं

जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने संत प्रेमानंद महाराज को एक चुनौती दी है, जिसमें उन्होंने उनसे संस्कृत बोलने और उनके श्लोकों का अर्थ समझाने को कहा है। रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज की लोकप्रियता को क्षणभंगुर बताते हुए कहा कि वह उन्हें विद्वान नहीं मानते। इस विवादास्पद बयान ने धार्मिक समुदाय में चर्चा को जन्म दिया है। जानें इस मामले में और क्या कहा गया है।
 

रामभद्राचार्य का बयान


नई दिल्ली। मथुरा-वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज, जो अपने प्रवचनों के लिए जाने जाते हैं, को लेकर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि प्रेमानंद महाराज को एक अक्षर संस्कृत बोलकर दिखाना चाहिए या उनके द्वारा कहे गए श्लोकों का हिंदी में अर्थ समझाना चाहिए। यह भी उल्लेखनीय है कि संत प्रेमानंद महाराज के पास कई बड़े सेलिब्रिटी, जैसे क्रिकेटर विराट कोहली, आशीर्वाद लेने आते हैं।


रामभद्राचार्य ने एक मीडिया चैनल को दिए गए इंटरव्यू में प्रेमानंद महाराज के बारे में अपनी बेबाक राय रखी। उन्होंने कहा कि प्रेमानंद महाराज की सादगी और भक्ति के कारण वे अक्सर चर्चा में रहते हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले 19 वर्षों से उनकी दोनों किडनियां खराब हैं, फिर भी वह प्रतिदिन वृंदावन की परिक्रमा करते हैं।


रामभद्राचार्य ने यह भी कहा कि पहले केवल विद्वान लोग ही कथावाचन करते थे, लेकिन अब मूर्ख लोग धर्म का ज्ञान दे रहे हैं। जब उनसे प्रेमानंद महाराज के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि उनके लिए वह बालक के समान हैं। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा, “अगर चमत्कार है, तो प्रेमानंद जी एक अक्षर संस्कृत बोलकर दिखाएं या मेरे कहे हुए संस्कृत श्लोकों का अर्थ समझाएं।”


उन्होंने यह स्पष्ट किया कि प्रेमानंद महाराज के प्रति उनके मन में कोई द्वेष नहीं है, लेकिन वह उन्हें विद्वान या चमत्कारी पुरुष नहीं मानते। उन्होंने कहा, “चमत्कार वह होता है जो शास्त्रीय चर्चा पर सहज हो और श्लोकों का अर्थ ठीक से बता सके।” रामभद्राचार्य ने प्रेमानंद महाराज की लोकप्रियता को ‘क्षणभंगुर’ बताते हुए कहा कि यह अस्थायी होती है और उन्हें उनका भजन करना अच्छा लगता है, लेकिन इसे चमत्कार कहना उन्हें स्वीकार नहीं है।