राजा मानसिंह का रहस्यमय खजाना: इंदिरा गांधी और पाकिस्तान का दावा
भारत का सोने का भंडार और राजा मानसिंह
भारत को एक समय सोने की चिड़िया कहा जाता था, जिसका मुख्य कारण यह था कि अतीत में देश में सोने का विशाल भंडार था। पहले के राजाओं के पास अपार धन था, लेकिन विदेशी आक्रमणों के कारण कई खजाने लूट लिए गए।
हालांकि, आज भी भारत में कई ऐसे खजाने हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। इनमें से एक राजा मानसिंह का सोने का खजाना है, जिसे रातों-रात खुदवाया गया था। इसके बाद पाकिस्तान ने भी अपने हिस्से की मांग की थी।
राजा मानसिंह का ऐतिहासिक योगदान
अकबर के नवरत्नों में से एक थे राजा मानसिंह
राजा मानसिंह, जिन्हें 'राजा मिर्जा' के नाम से भी जाना जाता है, बादशाह अकबर के नवरत्नों में से एक थे। उन्होंने अकबर को कई महत्वपूर्ण युद्धों में विजय दिलाई, विशेषकर हल्दीघाटी के युद्ध में।
राजा मानसिंह के पिता राजा भगवानदास ने भी अकबर के लिए कई युद्ध लड़े। राजा मानसिंह को बिहार, बंगाल और उड़ीसा की सत्ता सौंपी गई, जहां उन्होंने कई रियासतों पर विजय प्राप्त की और अपार धन इकट्ठा किया।
काबुल से लूटे गए खजाने की कहानी
राजा मानसिंह ने काबुल से लुटा था सोना
अकबर ने राजा मानसिंह को काबुल भेजा, जहां उन्होंने लुटेरों से मुकाबला किया। इस दौरान उन्होंने कई खजाने लूटे, जिसमें हीरे, जवाहरात और सोना शामिल था। राजा मानसिंह ने यह खजाना जयगढ़ के किले में छिपा दिया।
एक अरबी पुस्तक 'हफ्त तिलिस्मत-ए-अंमेरी' में इस खजाने का जिक्र है, जिसमें कहा गया है कि राजा मानसिंह ने इतना धन छिपाया था कि इससे कई रियासतें वर्षों तक जीवित रह सकती थीं।
इंदिरा गांधी और खजाने की खोज
इंदिरा गाँधी को लगी थी इस खजाने की भनक
1976 में जयगढ़ किले के खजाने की चर्चा शुरू हुई, जिससे इंदिरा गांधी को इसकी जानकारी मिली। उस समय, महारानी गायत्री देवी ने इंदिरा गांधी को चुनाव में हराया था, जिससे दोनों के बीच तनाव था।
इंदिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान इस खजाने की खोज की, लेकिन बाद में कहा कि वहां कोई सोना नहीं मिला। हालांकि, कहा जाता है कि उन्होंने खजाने को अपने लिए रख लिया।
पाकिस्तान का दावा
पाकिस्तान ने माँगा था हिस्सा
जब खजाने की चर्चा बढ़ी, तो पाकिस्तान ने भी अपना हिस्सा मांगने का प्रयास किया। अगस्त 1976 में, जुल्फिकार अली भुट्टो ने इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर कहा कि उन्हें खजाने के वाजिब हिस्से का ध्यान रखना चाहिए।
इस पत्र के बाद, इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को जवाब दिया कि उनके दावे का कोई कानूनी आधार नहीं है और वहां कोई खजाना नहीं मिला। इस तरह, मामला ठंडा पड़ गया और राजा मानसिंह का खजाना रहस्यमय बना रहा।