राजस्थान हाईकोर्ट का सख्त रुख: सड़क दुर्घटनाओं पर राज्य सरकार से जवाब तलब
राजस्थान में सड़क सुरक्षा पर हाईकोर्ट की चिंता
राजस्थान में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या को लेकर अब राजस्थान हाईकोर्ट ने गंभीरता दिखाई है। हाल ही में हुए कई भयानक हादसों में कई लोगों की जान जाने के बाद, न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। अदालत ने यह सवाल उठाया है कि सड़क सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं और आम नागरिकों की जान इतनी सस्ती क्यों हो रही है।
दुर्घटनाओं की श्रृंखला और जनजीवन पर प्रभाव
हाल के दिनों में प्रदेश में एक के बाद एक हुए भयानक सड़क हादसों ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है। जयपुर, जोधपुर, बाड़मेर और सिरोही जैसे क्षेत्रों में हुई दुर्घटनाओं में 40 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि कई अन्य घायल हुए हैं। कई पीड़ित अब भी अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। इन घटनाओं ने सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक नियमों के पालन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हाईकोर्ट में याचिका और सरकार को नोटिस
इन घटनाओं से प्रभावित होकर एडवोकेट राजेंद्र शर्मा ने राजस्थान हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इस पर एक्टिंग चीफ जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस बलजिंदर सिंह संधू की खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भरत व्यास और राज्य के महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद को नोटिस जारी कर 6 नवंबर तक जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।
सड़क सुरक्षा का अधिकार और प्रशासनिक लापरवाही
अदालत ने स्पष्ट किया कि सड़क सुरक्षा नागरिकों का मूल अधिकार है और प्रशासनिक लापरवाही को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। न्यायालय ने कहा कि यह चिंताजनक है कि नियमों के पालन में ढिलाई और सड़क निर्माण में खामियों के कारण निर्दोष लोगों की जान जा रही है।
राज्य सरकार से उठाए गए सवाल
अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि अब तक सड़क सुरक्षा और यातायात नियंत्रण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या रणनीति बनाई गई है। इसके साथ ही, सरकार को यह भी बताना होगा कि सड़कों की गुणवत्ता और भारी वाहनों के संचालन की निगरानी के लिए कौन से विभाग जिम्मेदार हैं और वे अपने दायित्वों का निर्वहन कैसे कर रहे हैं।
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया
हालिया हादसों के बाद, राज्य सरकार ने भी एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने सड़क सुरक्षा को लेकर अधिकारियों से जवाब मांगा और हादसों के कारणों की जांच के निर्देश दिए। परिवहन विभाग और पुलिस को सड़क सुरक्षा अभियान और ट्रैफिक मॉनिटरिंग को और सख्त करने के आदेश दिए गए हैं। साथ ही, ब्लैक स्पॉट्स की पहचान कर उन पर सुधारात्मक कार्यवाही करने की बात भी कही गई है।
जनता की प्रतिक्रिया और आगामी सुनवाई
लगातार हो रहे हादसों से प्रदेश में भय और आक्रोश दोनों व्याप्त हैं। कई स्थानों पर लोगों ने सड़क सुरक्षा के लिए प्रशासन से तात्कालिक कदम उठाने की मांग की है। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग पूछ रहे हैं कि सड़क पर चलते निर्दोष लोगों की मौत के लिए आखिर जिम्मेदार कौन है।
6 नवंबर की सुनवाई पर नजरें
अब पूरे प्रदेश की निगाहें 6 नवंबर पर टिकी हैं, जब राज्य सरकार को राजस्थान हाईकोर्ट के समक्ष अपना जवाब पेश करना है। अदालत के इस सख्त रुख से उम्मीद की जा रही है कि सड़क सुरक्षा के मोर्चे पर ठोस कदम उठाए जाएंगे और लगातार हो रही दुर्घटनाओं पर अंकुश लगेगा।