राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश: अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए JDA और आवासन मंडल को निर्देश
राजस्थान हाईकोर्ट की सख्ती
जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने सांगानेर क्षेत्र में अवाप्त भूमि पर अतिक्रमण के मामले में सुनवाई के दौरान नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि अवैध निर्माण को सहन नहीं किया जाएगा।
कोर्ट ने आवासन मंडल और जयपुर विकास प्राधिकरण को चार सप्ताह के भीतर जवाब और पालन रिपोर्ट पेश करने का अंतिम मौका दिया है। अगली सुनवाई नौ दिसंबर को होगी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायाधीश बीएस संधू की खंडपीठ ने पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था की जनहित याचिका पर यह आदेश जारी किया। प्रार्थी पक्ष की ओर से अधिवक्ता पूनम चंद भंडारी और डॉ. टीएन शर्मा ने बताया कि जेडीए और आवासन मंडल ने अभी तक अदालत के आदेश का पालन नहीं किया है।
इस स्थिति में, जेडीए और आवासन मंडल को खाली भूखंडों पर कब्जा लेने के निर्देश दिए गए हैं। कोर्ट ने सन्नी विकास समिति और श्रीराम कॉलोनी के प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई के दौरान समिति के पदाधिकारियों से जानकारी मांगी, लेकिन समिति इसका उत्तर नहीं दे पाई। कोर्ट ने कहा कि संबंधित लोगों का पक्ष सुना जाएगा।
राज्य सरकार और आवासन मंडल ने कहा कि अवाप्त भूमि का 92 प्रतिशत हिस्सा आवासन मंडल द्वारा फ्लैटों के निर्माण के लिए उपयोग किया जा चुका है, और लगभग 882 बीघा भूमि पर कॉलोनियों में लोग रह रहे हैं। हालांकि, एक हजार बीघा से अधिक भूमि अभी भी खाली है।
इस पर कोर्ट ने कहा कि सरकारी अवाप्तशुदा भूमि की सुरक्षा आवश्यक है। सभी अतिक्रमण को तुरंत हटाने का आदेश दिया गया। सरकारी पक्ष ने आठ सप्ताह का समय मांगा, लेकिन कोर्ट ने कहा कि अब और समय नहीं दिया जाएगा और सुनवाई को नौ दिसंबर तक टाल दिया गया।
अतिक्रमण हटाने का पूर्व आदेश
अगस्त में दिया था अतिक्रमण हटाने का आदेश
हाईकोर्ट ने अगस्त में दिए गए एक अंतरिम आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह आवासन मंडल की अवाप्तशुदा भूमि से अतिक्रमण हटाए। इसके साथ ही अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी आदेश दिया गया था।