×

राजस्थान में परिवार परंपरा को बढ़ावा देने के लिए नया निर्णय

राजस्थान में केंद्रीय पंचायत ने परिवार परंपरा को संरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब, समाज तीसरी संतान के लिए 31 हजार रुपये की एफडी कराएगा। यह निर्णय सिंधी समाज में वंश परंपरा को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है, जहां परिवार एक या दो बच्चों तक सीमित हो गए हैं। पंचायत अध्यक्ष हरीश राजानी ने इस पहल को समाज के भविष्य के लिए आवश्यक बताया। बैठक में कई वरिष्ठ समाजजन भी शामिल हुए, जिन्होंने इस योजना को नई ऊर्जा का स्रोत बताया।
 

केंद्रीय पंचायत का महत्वपूर्ण निर्णय

राजस्थान में, केंद्रीय पंचायत ने परिवार की परंपरा को संरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब, समाज तीसरी संतान के लिए 31 हजार रुपये की एफडी कराएगा।


समाज में वंश परंपरा की चुनौतियाँ


वर्तमान समय में, कई परिवार एक या दो बच्चों तक सीमित हो गए हैं, जिससे वंश परंपरा का आगे बढ़ना मुश्किल हो रहा है। यह समस्या विशेष रूप से सिंधी समाज में अधिक गंभीर हो गई है। इस संदर्भ में, तीसरी संतान के लिए 31 हजार रुपये की एफडी कराने का निर्णय लिया गया। यह निर्णय शनिवार शाम को श्री झूलेलाल सिंधी सेंट्रल पंचायत की बैठक में लिया गया।


जनसंख्या संतुलन पर चर्चा

बैठक की अध्यक्षता करते हुए, पंचायत अध्यक्ष हरीश राजानी ने कहा कि समाज की जनसंख्या संतुलन और पीढ़ियों के संरक्षण पर गंभीरता से विचार करने का समय आ गया है। उन्होंने बताया कि अधिकतर परिवार अब एक या दो बच्चों तक सीमित रह गए हैं।


समाज की पहचान बनाए रखने की आवश्यकता

राजानी ने यह भी कहा कि बदलते समय में समाज को अपनी पहचान बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। सभी पदाधिकारियों के विचार सुनने के बाद, सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि परिवारों को 31 हजार रुपये की एफडी दी जाएगी।


पंचायत अध्यक्ष का समर्थन

पंचायत के अध्यक्ष दादा प्रताप राय चुघ ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह पहल समाज के भविष्य को सुरक्षित करने में मददगार साबित होगी। महासचिव कैलाश नेभनानी ने भी कहा कि यह योजना न केवल परिवारों को प्रोत्साहित करेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित और संगठित करने में भी सहायक होगी।


बैठक में वरिष्ठ सदस्यों की उपस्थिति

बैठक में कई वरिष्ठ समाजजन उपस्थित थे, जिनमें संरक्षक मनोहर लाल, मुरली राजानी, ओमप्रकाश आहूजा, किशन वाधवानी, उमेश मनवानी, सुखराम बालचंदानी, किशोर सिधवानी शामिल थे। उन्होंने इस योजना को समाज में नई ऊर्जा का संचार करने का माध्यम बताया।