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राजस्थान की शादियों में देवउठनी एकादशी पर शाही ठाठ-बाट

राजस्थान की शादियां अपनी भव्यता और शाही परंपरा के लिए जानी जाती हैं। इस देवउठनी एकादशी पर, हाथियों की बुकिंग में 80% की वृद्धि हुई है, जो शाही लवाजमें को पुनर्जीवित करेगा। इस अवसर पर, हाथियों को विशेष सजावट के साथ तैयार किया जाएगा, और पिछले वर्ष की तुलना में 75% अधिक बुकिंग हुई है। यह परंपरा न केवल सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देती है, बल्कि व्यवसाय को भी सशक्त बनाती है।
 

राजस्थान की शादियों की भव्यता

राजस्थान की शादियां अपनी भव्यता और शाही परंपरा के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। इस देवउठनी एकादशी पर, यह भव्यता एक बार फिर से जीवंत होने जा रही है। शुभ सावे के अवसर पर होने वाली विशेष शादियों के लिए हाथियों की बुकिंग 80% तक पहुंच गई है, जो राजाओं और रजवाड़ों की शाही लवाजमें को पुनर्जीवित करेगा.


शाही परंपरा का अद्भुत उदाहरण

इस देवउठनी एकादशी पर, हाथी, घोड़े, ऊंट, बग्गी और शाही पालकी के साथ सजी बारातें राजधानी और प्रदेश के विभिन्न जिलों में शोभा बढ़ाएंगी। यह केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि सदियों पुरानी राजघराने की समृद्धि और परंपरा को जीवित रखने का एक अनूठा तरीका है। हाथी गांव विकास समिति के अध्यक्ष बल्लू खान ने बताया कि शाही अंदाज में सजी बारातें दूल्हा-दुल्हन की खुशियों में चार चांद लगा देंगी.


विशेष सजावट के साथ बारात में शामिल होंगे हाथी

इन हाथियों को विशेष रूप से सजाया जा रहा है। हाथी मालिकों द्वारा सावे के दिन सुबह से ही हाथियों को प्राकृतिक चॉक पाउडर, रंग-बिरंगे रंगों और फूल-पत्तियों से सजाया जाएगा। उन्हें शाही लुक देने के लिए मेटल के हौदे, लाल कपड़े के झूल, रूमाल, कंठा और सिल्वर पॉलिश के आभूषणों से सजाया जाएगा. सिर पर 'श्री' का आभूषण इनकी शान बढ़ाएगा.


पिछले वर्ष की तुलना में अधिक बुकिंग

पिछले वर्ष की तुलना में इस बार 75 प्रतिशत से अधिक हाथियों की बुकिंग हुई है, जिनमें से लगभग 65 हाथी शाही शादियों के लिए बुक हो चुके हैं। यह दर्शाता है कि लोग अपनी शादियों को शाही अंदाज में यादगार बनाने के लिए इन सांस्कृतिक परंपराओं को अपनाने में रुचि दिखा रहे हैं। हाथी मालिकों के अनुसार, यह परंपरा न केवल उनकी सांस्कृतिक पहचान है, बल्कि उनके व्यवसाय को भी बढ़ावा दे रही है.


वन विभाग की गाइडलाइन का पालन

हाथियों को सुरक्षित रूप से भेजने के लिए वन विभाग की गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है। धरती के इस सबसे भारी वन्यजीव को ट्रक की सहायता से विभिन्न जिलों में शादियों की शोभा बढ़ाने के लिए भेजा जाएगा, जिसका किराया दूरी के अनुसार तय किया गया है (जयपुर में ₹15-20 हजार से जोधपुर के लिए ₹70 हजार तक).