राख्यासिनी पहाड़: ऐतिहासिक क्षेत्र में जनसंख्या परिवर्तन और पर्यावरणीय चुनौतियाँ
राख्यासिनी पहाड़ का ऐतिहासिक महत्व
गोलपारा, 14 जुलाई: राख्यासिनी पहाड़, गोलपारा जिले में एक ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसे 1959 में प्रस्तावित आरक्षित वन के रूप में घोषित किया गया था, जिसमें 2,700 हेक्टेयर भूमि शामिल है। हालांकि विस्तृत रिकॉर्ड सीमित हैं, यह क्षेत्र अपनी हरी-भरी वनस्पति और औषधीय पौधों के लिए जाना जाता था।
भौगोलिक स्थिति और ऐतिहासिक संदर्भ
यह क्षेत्र गोलपारा वन गेट के पास, कृष्णाई-गैरो बाजार और श्री सूर्य पहाड़ रोड के किनारे स्थित है, जो कि गोलपारा शहर से लगभग 6.3 किलोमीटर दूर है। 1990 के दशक में, राख्यासिनी पहाड़ साल और सेगुन के पेड़ों से भरा हुआ था। यात्रियों की यादों के अनुसार, 1995 तक यह क्षेत्र लगभग अप्रभावित रहा, जिसमें केवल चेतन राभा द्वारा संचालित एक छोटी चाय की दुकान और मोरनोई में सैनिक स्कूल की ओर जाने वाला एक शांत gravel सड़क थी।
आव्रजन और जनसंख्या परिवर्तन
लगभग 1997 से, परिवारों ने राख्यासिनी पहाड़ क्षेत्र में प्रवास करना शुरू किया, मुख्य रूप से बाढ़-प्रवण चार क्षेत्रों से, जैसे कि बागबर चार, उजिरोर चार, चोपला चार, कटाखाली चार और बलादमारी चार। ये प्रवास मुख्य रूप से मौसमी बाढ़ के कारण हुए, जिसने घरों, फसलों और आजीविका को नष्ट कर दिया।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
वरिष्ठ भाजपा कार्यकर्ता डॉ. कश्यप प्रकाश के अनुसार, राख्यासिनी पहाड़ हाल ही में राज्य सरकार द्वारा गोलपारा जिले में शुरू की गई एक अतिक्रमण मुहिम के कारण चर्चा में आया है। उन्होंने बताया कि 2004 में गोलपारा में आई बाढ़ ने स्थानीय निवासियों को विस्थापित किया और बाढ़-प्रवण बारपेटा और बोंगाईगांव से प्रवास को प्रेरित किया।
धार्मिक प्रवास और सामाजिक परिवर्तन
2010 के आसपास, राख्यासिनी पहाड़ में 'बोस्ता बाबा' नामक एक स्वयंभू बाबा के आगमन के कारण फिर से जनसंख्या में वृद्धि हुई। उन्होंने विशेष रूप से कमजोर व्यक्तियों को आकर्षित किया, जो उपचार के लिए पानी की चिकित्सा और आध्यात्मिक उपायों की तलाश में थे। बोस्ता बाबा की 2016-17 के आसपास मृत्यु के बाद, उनके अनुयायियों ने धार्मिक प्रवास शुरू किया।
स्थानीय समुदाय की चिंताएँ
हालांकि, स्थानीय गोलपारा मुस्लिम परिवारों को अपने पूर्वजों की पहचान खोने का डर है, क्योंकि जनसंख्या परिवर्तन के कारण उनके रीति-रिवाजों में बदलाव आ रहा है। डॉ. प्रकाश ने 2013 में क्षेत्र में हुई साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाओं का उल्लेख किया, जिसमें दो व्यक्तियों की हत्या हुई थी।
सरकार की पहल और भविष्य की चुनौतियाँ
डॉ. प्रकाश ने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा किए गए भूमि सुधार उपायों और अवैध अतिक्रमण के खिलाफ ठोस कार्रवाई की सराहना की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इन मुद्दों का समाधान नहीं किया गया, तो क्षेत्र की सामाजिक-सांस्कृतिक संरचना, पर्यावरणीय स्थिरता और कानून-व्यवस्था पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।