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रविचंद्रन अश्विन पर बॉल टैम्परिंग का आरोप, लेकिन मिली क्लीन चिट

रविचंद्रन अश्विन पर बॉल टैम्परिंग का आरोप लगाया गया था, जब उनकी टीम डिंडीगुल ड्रैगन्स के खिलाफ सेइचम मदुरै पैंथर्स ने शिकायत की। हालांकि, जांच में कोई ठोस सबूत नहीं मिलने पर अश्विन और उनकी टीम को क्लीन चिट मिल गई। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और TNPL के अधिकारियों की प्रतिक्रिया।
 

बॉल टैम्परिंग के आरोपों का सामना

भारत के पूर्व ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन का नाम सोमवार को उस समय चर्चा में आया जब उनके खिलाफ उनके राज्य क्रिकेट संघ (TNCA) की लीग में एक विरोधी टीम ने बॉल टैम्परिंग का आरोप लगाया। अश्विन और उनकी टीम डिंडीगुल ड्रैगन्स के खिलाड़ियों पर एक मैच के दौरान गेंद को तौलिए से साफ करते समय उस पर केमिकल लगाने का आरोप लगाया गया, जिससे गेंद सूखी बनी रहे। हालांकि, विरोधी टीम अपने आरोपों को साबित करने में असफल रही और इसके परिणामस्वरूप अश्विन और उनकी टीम के अन्य खिलाड़ियों को क्लीन चिट मिल गई।




सेइचम मदुरै पैंथर्स ने यह आरोप लगाकर काफी हलचल मचाई थी। पैंथर्स ने 14 जून को ड्रैगन्स के खिलाफ खेले गए मैच में यह आरोप लगाया था। उनका कहना था कि मैच के दौरान गीली गेंद को तौलिए से पोंछते समय तौलिए केमिकल से उपचारित थे। हालांकि, तमिलनाडु क्रिकेट संघ ने इस मामले में कोई ठोस सबूत नहीं मिलने की बात कही। TNPL ने इसे काल्पनिक और बेबुनियाद दावा करार दिया।




TNPL के सीईओ प्रसन्ना कन्नन ने एक बयान में कहा कि जिन तौलिए को विवादित बताया गया है, उन्हें टीएनसीए ने ही जारी किया था और ये दोनों टीमों के लिए समान रूप से उपलब्ध थे। प्लेइंग कंट्रोल टीम, जिसमें अंपायर और मैच रेफरी शामिल थे, ने पूरे मैच के दौरान गेंद पर नजर रखी। मैच के दौरान इस पर कोई चिंता नहीं जताई गई और कोई ऐसा सबूत नहीं दिया गया जिससे आरोपों में सच्चाई नजर आए। ये दावे काल्पनिक और बाद में किए गए लगते हैं।