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रतनगढ़ वाली माता मंदिर: आस्था और चमत्कारों का केंद्र

रतनगढ़ वाली माता मंदिर, मध्य प्रदेश के दतिया में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो अपनी चमत्कारी भभूत और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के लिए जाना जाता है। यह मंदिर न केवल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, बल्कि इसके पीछे की कहानी भी बेहद रोचक है। यहां की मान्यता है कि भभूत लगाने से रोग दूर होते हैं और यह जहरीले सांपों के जहर को भी निष्क्रिय कर देती है। जानें इस मंदिर की पौराणिक कथा, कुंवर बाबा के चमत्कार और यहां पहुंचने के तरीके के बारे में।
 

रतनगढ़ वाली माता मंदिर का परिचय


रतनगढ़ वाली माता मंदिर, दतिया: भारत में देवी माता के अनेक चमत्कारी मंदिर हैं, जिनमें से एक मध्य प्रदेश के दतिया में स्थित है। रतनगढ़ वाली माता के नाम से मशहूर यह मंदिर वर्षों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है।


यहां की भभूत लगाने से लोगों के रोग दूर होने का दावा किया जाता है। इसके अलावा, यह भभूत जहरीले सांपों के जहर को भी निष्क्रिय कर देती है। आज हम इस मंदिर के बारे में विस्तार से जानेंगे।


रतनगढ़ वाली माता मंदिर की पौराणिक कथा

लगभग 400 साल पहले, मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी ने लोगों पर अत्याचार करना शुरू किया और सेंवढा से रतनगढ़ आने वाले जल स्रोत पर पाबंदी लगा दी थी।


राजा रतन सिंह की पुत्री मांडूला और उनके भाई कुंवर गंगा रामदेव ने अलाउद्दीन का विरोध किया, जिसके परिणामस्वरूप अलाउद्दीन ने रतनगढ़ वाली माता मंदिर के किले पर हमला किया।


मांडूला, जो अत्यंत सुंदर थी, और कुंवर गंगा रामदेव ने मुस्लिम आक्रमणकारियों से बचने के लिए जंगल में समाधि ले ली, जिसके बाद रतनगढ़ वाली माता का मंदिर अस्तित्व में आया।


कुंवर बाबा का चमत्कार

रतनगढ़ वाली माता के पास कुंवर बाबा का मंदिर भी है। कहा जाता है कि कुंवर गंगा रामदेव जब शिकार पर जाते थे, तो जहरीले जानवर अपना विष बाहर निकाल देते थे।


इसलिए मान्यता है कि जब किसी व्यक्ति को जहरीले जानवर या सांप काटता है, तो वे कुंवर बाबा का नाम लेकर बंधन लगाते हैं और फिर भाई दूज या दिवाली के दूसरे दिन मंदिर में दर्शन करते हैं।


मंदिर से लगभग दो किलोमीटर दूर सिंध नदी में स्नान करने के बाद व्यक्ति बेहोश हो जाता है, जिसे स्ट्रेचर से बाबा के मंदिर लाया जाता है। वहां जल के छींटे पड़ते ही वह पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है।


छत्रपति शिवाजी का योगदान

यह मंदिर छत्रपति शिवाजी की मुगलों पर विजय की प्रतीक है। कहा जाता है कि रतनगढ़ वाली माता और कुंवर महाराज ने शिवाजी के गुरु रामदास को देवगढ़ में दर्शन दिए और उन्हें मुगलों से युद्ध के लिए प्रेरित किया।


मुगलों की हार और मराठों की जीत के बाद, शिवाजी महाराज ने दतिया के रतनगढ़ में इस मंदिर का निर्माण कराया। यह मंदिर अपने चमत्कारी रहस्यों के लिए देशभर में प्रसिद्ध है।


कैसे पहुंचें रतनगढ़ वाली माता मंदिर?

आप इस मंदिर तक देश के किसी भी कोने से पहुंच सकते हैं। झाँसी, दतिया और ग्वालियर रेलवे स्टेशन इसके निकटतम हैं। इसके अलावा, आप बस से भी यात्रा कर यहां पहुंच सकते हैं।


यदि आप हवाई यात्रा से आना चाहते हैं, तो ग्वालियर हवाई अड्डा सबसे नजदीक है। वहां से बस के माध्यम से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।