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रतन टाटा: एक उद्योगपति और उनके पालतू कुत्ते के प्रति प्रेम की कहानी

रतन टाटा का जीवन केवल व्यवसाय तक सीमित नहीं था; वे एक दयालु उद्योगपति और समाजसेवी थे। उनके पालतू कुत्ते टीटो के प्रति उनका गहरा प्रेम और आवारा कुत्तों के लिए उनके प्रयासों ने उन्हें एक सच्चा पशु प्रेमी बना दिया। जानें कैसे उन्होंने अपने कुत्ते के लिए वसीयत में विशेष प्रावधान किए और ताज होटल में कुत्तों के प्रति सम्मान की नई परिभाषा स्थापित की।
 

रतन टाटा का जीवन और उनके कुत्ते के प्रति प्रेम

रतन टाटा का जीवन केवल व्यवसाय तक सीमित नहीं था; वे एक प्रमुख उद्योगपति, उद्यमी और समाजसेवी के रूप में भी जाने जाते हैं। उनके पालतू कुत्तों के प्रति गहरा प्रेम अक्सर चर्चा का विषय रहा है, विशेषकर उनके जर्मन शेफर्ड कुत्ते टीटो की कहानी।


रतन टाटा का निधन 9 अक्टूबर 2022 को हुआ, लेकिन उनके कुत्तों के प्रति प्रेम आज भी लोगों के दिलों में जीवित है। उन्होंने अपनी वसीयत में टीटो के लिए 12 लाख रुपये और हर तीन महीने में 30,000 रुपये की पेंशन का प्रावधान किया था। इसके अलावा, टीटो की देखभाल के लिए उनके लंबे समय से काम कर रहे रसोइये राजन शॉ को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। यह दर्शाता है कि टीटो उनके लिए केवल एक पालतू नहीं, बल्कि परिवार का एक महत्वपूर्ण सदस्य था।


टीटो: रतन टाटा का सच्चा साथी

टीटो को रतन टाटा ने लगभग छह साल पहले गोद लिया था, जब उनके पिछले कुत्ते का निधन हुआ। रतन टाटा ने हमेशा टीटो के प्रति अपने गहरे प्रेम का इजहार किया। 2018 में, जब उन्हें लंदन में प्रिंस चार्ल्स से लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिलना था, तब उन्होंने इस सम्मान को लेने के बजाय टीटो के साथ रहना चुना, क्योंकि टीटो उस समय बीमार था। उन्होंने कहा, 'मेरा कुत्ता बीमार है, मैं उसे छोड़कर नहीं जा सकता।'


आवारा कुत्तों के लिए रतन टाटा का योगदान

रतन टाटा ने बॉम्बे हाउस को आवारा कुत्तों के लिए एक सुरक्षित आश्रय में परिवर्तित किया। उनका मानना था कि आवारा कुत्तों को भी प्यार और सुरक्षा मिलनी चाहिए। उन्होंने हमेशा उनकी भलाई के लिए काम किया और टाटा ग्रुप के सामाजिक कार्यों में कुत्तों के लिए विशेष स्थान सुनिश्चित किया। रतन टाटा अक्सर सोशल मीडिया पर आवारा कुत्तों को गोद लेने की अपील करते थे और घायल जानवरों के लिए चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने में मदद करते थे।


ताज होटल में कुत्तों के प्रति सम्मान

रतन टाटा के पशु प्रेम का एक अद्भुत उदाहरण ताज होटल में देखने को मिला, जहां बारिश में कर्मचारी एक आवारा कुत्ते को छाते से बचाते हुए नजर आए। यह दृश्य वायरल हुआ और लोगों को याद दिलाया कि ब्रिटिश राज के दौरान होटल के बाहर लिखा होता था कि 'कुत्तों और भारतीयों का प्रवेश वर्जित है।' आज वही स्थान कुत्तों के लिए प्यार और सम्मान का प्रतीक बन गया है, जो रतन टाटा के संवेदनशील और दयालु स्वभाव को दर्शाता है।