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रक्त चढ़ाने में गलतियों से बचने के उपाय और संभावित खतरे

रक्त चढ़ाने की प्रक्रिया में सावधानियाँ बरतना अत्यंत आवश्यक है। गलत रक्त समूह का चढ़ाना गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इस लेख में, हम रक्त चढ़ाने के संभावित खतरों, प्रारंभिक लक्षणों और गलतियों से बचने के उपायों पर चर्चा करेंगे। जानें कि कैसे सही रक्त समूह की पहचान और क्रॉस-मैचिंग से आपात स्थितियों में भी सुरक्षित रह सकते हैं।
 

रक्त का महत्व और उसके दुष्प्रभाव


मानव शरीर में रक्त की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। लेकिन जब रक्त किसी अन्य व्यक्ति का होता है और वह शरीर के रक्त समूह से मेल नहीं खाता, तो इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं। अस्पताल में जब किसी मरीज को रक्त की आवश्यकता होती है, तो रक्त आधान की प्रक्रिया अपनाई जाती है। यह प्रक्रिया सामान्य प्रतीत होती है, लेकिन यह बहुत संवेदनशील और नाजुक होती है। यदि गलत रक्त समूह का रक्त चढ़ाया जाता है, तो यह स्थिति अत्यंत खतरनाक बन सकती है।


गलत रक्त चढ़ाने के परिणाम

गलत रक्त चढ़ाने पर क्या होता है?
विशेषज्ञों के अनुसार, जब किसी व्यक्ति को उसके रक्त समूह से मेल न खाने वाला रक्त चढ़ाया जाता है, तो उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली इसे 'बाहरी खतरा' मानती है। इसे एक्यूट हेमोलिटिक ट्रांसफ्यूजन रिएक्शन (AHTR) कहा जाता है।


इस प्रक्रिया में, शरीर बाहरी रक्त पर प्रतिक्रिया करता है और उसे नष्ट करने के लिए एंटीबॉडी का निर्माण करता है। इसके परिणामस्वरूप, रक्त कोशिकाएं टूटने लगती हैं और विभिन्न अंग प्रभावित होते हैं।


प्रारंभिक लक्षण

शुरुआती लक्षण क्या हैं?


अचानक बुखार आना, छाती या पीठ में तेज़ दर्द, साँस लेने में कठिनाई, लाल या गहरे रंग का पेशाब, रक्तचाप में अचानक गिरावट, शरीर पर सूजन, और एलर्जी जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं।


यदि इन लक्षणों की पहचान समय पर नहीं की जाती है और त्वरित उपचार नहीं किया जाता है, तो यह स्थिति किडनी फेलियर, शॉक या मृत्यु जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है।


गलतियों के कारण

ऐसी गलतियाँ क्यों होती हैं?


अधिकतर अस्पतालों या ब्लड बैंकों में रक्त चढ़ाने से पहले 'ब्लड टाइपिंग' और अन्य आवश्यक जाँचें की जाती हैं। लेकिन यदि कोई लापरवाही बरती जाए, रक्त की बोतल पर लेबल गलत हो, या आपात स्थिति में बिना पूरी जाँच के रक्त चढ़ा दिया जाए, तो यह जानलेवा हो सकता है।


गलतियों से बचने के उपाय

ऐसी गलती से खुद को कैसे बचाएँ?


बॉडी टाइपिंग की सावधानीपूर्वक जाँच करें – रक्त चढ़ाने से पहले मरीज के रक्त समूह की सही जाँच अवश्य करें।


क्रॉस-मैचिंग ज़रूरी है – डोनर और मरीज के रक्त को मिलाकर उनके आपसी प्रभावों की जाँच करना आवश्यक है।


सूचित रहें – रोगी के परिवार के लिए यह महत्वपूर्ण है कि उन्हें चढ़ाए जाने वाले रक्त समूह के बारे में पूरी जानकारी हो।