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योगी सरकार की नई पहल: किरायेदारी पर स्टाम्प शुल्क में बड़ी छूट

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने किरायेदारों और मकान मालिकों के लिए स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रीकरण फीस में छूट देने का निर्णय लिया है। यह पहल किरायेदारी व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने के उद्देश्य से की गई है। नए नियमों के तहत, औसत वार्षिक किराया 10 लाख रुपये तक के लिए विशेष छूट मिलेगी। इससे न केवल आर्थिक बोझ कम होगा, बल्कि विवादों में भी कमी आएगी। जानें इस नई नीति के तहत क्या-क्या बदलाव होंगे और इसका लाभ कैसे उठाया जा सकता है।
 

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार की नई राहत योजना

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने किरायेदारों और मकान मालिकों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत की घोषणा की है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 10 साल तक की किरायेदारी या पट्टा विलेखों पर स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रीकरण फीस में बड़ी छूट दी जाएगी। इस कदम से न केवल आम जनता को आर्थिक राहत मिलेगी, बल्कि किरायेदारी व्यवस्था को भी अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने में मदद मिलेगी।


किरायेदारी को सरल बनाने की दिशा में कदम

प्रदेश के स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 के तहत एक साल से अधिक की किरायेदारी के लिए विलेख रजिस्ट्री कराना अनिवार्य है। लेकिन वास्तविकता यह है कि अधिकांश किरायेदारी मौखिक होती है या रजिस्ट्री नहीं कराई जाती। इससे स्टाम्प शुल्क की कमी के मामले सामने आते हैं और विभागीय जांच में स्टाम्प वाद दर्ज होते हैं। इस समस्या को हल करने के लिए सरकार ने यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है।


छूट का लाभ और नई दरें

मंत्री ने बताया कि इस निर्णय से एक साल से लेकर 10 साल तक की किरायेदारी के लिए स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्री फीस की अधिकतम सीमा निर्धारित की गई है। इसका लाभ उन किरायेदारों और मकान मालिकों को मिलेगा जिनका औसत वार्षिक किराया 10 लाख रुपये तक है। इस छूट से किरायेदारी विलेख रजिस्टर्ड कराने की प्रवृत्ति बढ़ेगी और आर्थिक बोझ कम होगा। हालांकि, टोल और खनन से जुड़े पट्टों को इस छूट से बाहर रखा गया है।


योगी सरकार ने किरायेदारी विलेखों के लिए स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्री फीस की नई दरें तय की हैं, जो इस प्रकार हैं:



  • औसत वार्षिक किराया 2 लाख रुपये तक:



    • 1 साल तक: स्टाम्प शुल्क 500 रुपये, रजिस्ट्री शुल्क 500 रुपये

    • 1-5 साल: स्टाम्प शुल्क 1,500 रुपये, रजिस्ट्री शुल्क 1,500 रुपये

    • 5-10 साल: स्टाम्प शुल्क 2,000 रुपये, रजिस्ट्री शुल्क 2,000 रुपये



  • औसत वार्षिक किराया 2,00,001 से 6 लाख रुपये तक:



    • 1 साल तक: स्टाम्प शुल्क 1,500 रुपये, रजिस्ट्री शुल्क 1,500 रुपये

    • 1-5 साल: स्टाम्प शुल्क 4,500 रुपये, रजिस्ट्री शुल्क 4,500 रुपये

    • 5-10 साल: स्टाम्प शुल्क 7,500 रुपये, रजिस्ट्री शुल्क 7,500 रुपये



  • औसत वार्षिक किराया 6,00,001 से 10 लाख रुपये तक:



    • 1 साल तक: स्टाम्प शुल्क 2,500 रुपये, रजिस्ट्री शुल्क 2,500 रुपये

    • 1-5 साल: स्टाम्प शुल्क 6,000 रुपये, रजिस्ट्री शुल्क 6,000 रुपये

    • 5-10 साल: स्टाम्प शुल्क 10,000 रुपये, रजिस्ट्री शुल्क 10,000 रुपये




किरायेदारी विवादों में कमी

रवीन्द्र जायसवाल ने कहा कि यह निर्णय किरायेदारी व्यवस्था को सरल, सुरक्षित और पारदर्शी बनाने में महत्वपूर्ण साबित होगा। इससे रजिस्ट्रीकरण की संख्या में वृद्धि होगी, किरायेदारी से जुड़े विवादों में कमी आएगी और लोगों को कानूनी पचड़ों से राहत मिलेगी। यह कदम किरायेदारों और मकान मालिकों दोनों के लिए लाभकारी है।