यूपी विधानसभा में वंदे मातरम पर गरमागरम बहस
वंदे मातरम पर उठे सवाल
लखनऊ
यूपी विधानसभा में वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान जनसत्ता दल के नेता राजा भैया ने यह सवाल उठाया कि आखिर किसे राष्ट्रगीत से आपत्ति है। उन्होंने कहा कि किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि हमारा राष्ट्रगीत विवाद का विषय बनेगा। यह किसी धर्म के खिलाफ नहीं है। हर सदन की शुरुआत वंदे मातरम से होती है, लेकिन क्या कुछ सदस्य ऐसे हैं जो इस पर चुप रहते हैं या लॉबी में बैठे रहते हैं? सीसीटीवी में सब कुछ रिकॉर्ड है, जो कभी भी देखा जा सकता है।
संविधान सभा का निर्णय
राजा भैया ने कहा कि कुछ बातें स्पष्ट होनी चाहिए। वंदे मातरम किसी एक व्यक्ति के कहने पर राष्ट्रगीत नहीं बना था। यह निर्णय पूरी संविधान सभा ने लिया था कि वंदे मातरम राष्ट्रगीत होगा और जन गण मन राष्ट्रगान। उस सभा में कौन-कौन से महानुभाव थे, यह बताने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन आज यह विषय गंभीर है। वंदे मातरम पर चर्चा कोई मजाक नहीं है। हम मानते थे कि यह सभी के लिए पूज्य है। बंकिम चंद्र चटर्जी ने इसे लिखा, लेकिन इसे पूरे भारत ने अपनाया।
इतिहास में वंदे मातरम का महत्व
राजा भैया ने उदाहरण देते हुए कहा, 'खुदीराम बोस का जन्म बंगाल के मिदनापुर में हुआ था। उन्हें फांसी मुजफ्फरपुर बिहार में मिली थी और उनके अंतिम शब्द वंदे मातरम थे। इसी तरह मदन लाल धींगरा का जन्म पंजाब में हुआ और उन्हें लंदन में फांसी दी गई थी। रामप्रसाद बिस्मिल का जन्म शाहजहांपुर में हुआ और उन्हें गोरखपुर में फांसी दी गई थी। उनके भी अंतिम शब्द वंदे मातरम थे। हमारा कहना है कि वंदे मातरम की व्यापकता पर तब कोई सवाल नहीं उठता था, जब देश संकट में था। किसी ने नहीं सोचा होगा कि आगे चलकर हमारा राष्ट्रगीत विवाद का विषय बनेगा। यह किसी धर्म के खिलाफ नहीं है।'
भारत माता का महत्व
‘कभी ताइवान माता या जापान माता सुना है? सिर्फ भारत को मां का दर्जा’
कुंडा के विधायक ने कहा कि वैदिक काल से हमने अपने राष्ट्र को मां माना है। सभी जगह देशभक्त हैं और अपने राष्ट्र के प्रति आस्था रखते हैं, लेकिन हमने कभी जापान माता, ताइवान माता या अमेरिका माता नहीं सुना। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम प्राचीन काल से भारत माता कहते आए हैं और उस धरती ने हमारा पालन-पोषण किया है। यह समझना मुश्किल है कि वंदे मातरम पर किसे और क्यों आपत्ति है। यह कहा जाता है कि वंदे मातरम को दिल से गाना चाहिए, डंडे से नहीं। आखिर डंडा कौन चला रहा है? राष्ट्रगीत को दिल से गाना चाहिए, इसमें कोई संदेह नहीं है।
मतदाताओं से अपील
‘जनता से अपील कि वोट देते समय ध्यान रखे, कौन वंदे मातरम नहीं गाता’
राजा भैया ने कहा कि जब हम चुनाव में जाएंगे, तो मतदाताओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि कौन वंदे मातरम पर चुप रहता है। संविधान की बात करने वाले लोग समझें कि वंदे मातरम को राष्ट्रगीत का दर्जा संविधान सभा ने ही दिया था। कल को कोई यह कह सकता है कि हम भारत को अपना भाग्य विधाता नहीं मानते हैं और इसलिए राष्ट्रगान को भी हटा दिया जाए।