युवाओं में हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों के कारण और बचाव के उपाय
युवाओं में हार्ट अटैक की बढ़ती समस्या
कम उम्र में हार्ट अटैकImage Credit source: Getty Images
वर्तमान में, युवाओं में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पहले की तुलना में, अब 25 से 40 वर्ष के लोग भी इस गंभीर समस्या का सामना कर रहे हैं। इसके पीछे मुख्य कारण हमारी जीवनशैली में आए बदलाव हैं। लंबे समय तक बैठना, मोबाइल और कंप्यूटर के सामने अधिक समय बिताना, व्यायाम की कमी और बढ़ता तनाव इस समस्या को जन्म दे रहे हैं। इसके अलावा, अस्वस्थ खानपान और नींद की कमी भी दिल की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल शारीरिक कमजोरी का मामला नहीं है, बल्कि यह जीवनशैली और मानसिक स्थिति का परिणाम भी है।
कम उम्र में हार्ट अटैक के कई कारण हैं। सबसे प्रमुख कारण है गतिहीन जीवनशैली और नियमित शारीरिक गतिविधियों की कमी। इसके अलावा, अनियमित खानपान, तनाव, धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन, साथ ही डायबिटीज़ या उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी स्वास्थ्य समस्याएं भी जोखिम को बढ़ाती हैं। लक्षणों में सीने में दबाव या दर्द, सांस लेने में कठिनाई, अत्यधिक थकान, पसीना आना और कभी-कभी मतली या चक्कर आना शामिल हैं। युवाओं में अक्सर ये लक्षण हल्के या असामान्य रूप में प्रकट होते हैं, जिससे समय पर पहचान और उपचार में देरी हो जाती है।
कम उम्र में हार्ट अटैक के कारण
डॉ. राजाराम आनंदरमन के अनुसार, 40 वर्ष से कम उम्र के 40% हार्ट अटैक के मरीजों में पारंपरिक जोखिम कारक नहीं पाए जाते हैं। पैरों की गतिहीनता सीधे दिल को प्रभावित करती है। जब शरीर पर्याप्त सक्रिय नहीं होता, तो दिल को गंभीर नुकसान होता है।
डॉ. मोहसिन वली का कहना है कि हमारी हर सांस और हर निवाला हमारी सेहत को प्रभावित करता है। पर्याप्त नींद, तनाव नियंत्रण और नियमित व्यायाम ही असली दवाएं हैं। अधिकांश लोग हृदय-रोकथाम के उपायों से अवगत हैं, लेकिन उन्हें अपनाने में कमी पाई जाती है।
डॉ. रजनीश कपूर ने बताया कि डायबिटीज़ हृदय रोग को और जटिल बना देती है। जीवनशैली में बदलाव अनिवार्य है। स्वास्थ्य की छोटी-छोटी आदतें बड़ी सुरक्षा प्रदान करती हैं। डॉ. नाकुल सिन्हा ने अत्यधिक स्क्रीनिंग और रिपोर्ट्स के प्रति संयम बरतने की सलाह दी, क्योंकि अनावश्यक जांच और गलत जानकारी से चिंता बढ़ती है।
बचाव के उपाय
विशेषज्ञों के अनुसार, युवाओं को नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, पर्याप्त नींद और मानसिक तनाव को नियंत्रित करने की आदत डालनी चाहिए। खुश रहने की आदत और रोजाना चलना-फिरना दिल की सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है.