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युवा संवाद 'विमर्श 2025' का उद्घाटन: संविधान की आत्मा पर चर्चा

कमला नेहरू कॉलेज में आयोजित 'विमर्श 2025' का उद्घाटन हुआ, जिसमें युवा, शिक्षाविद् और विचारक एकत्रित होकर संविधान की आत्मा पर चर्चा कर रहे हैं। कार्यक्रम की शुरुआत सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से हुई, जिसमें विभिन्न नृत्य शैलियों ने भारतीय संस्कृति की विविधता को दर्शाया। उद्घाटन सत्र में प्रमुख वक्ताओं ने संविधान की प्रासंगिकता और युवाओं की भूमिका पर अपने विचार साझा किए। यह कार्यक्रम युवाओं के विचारों का संगम है, जो भारत के भविष्य को आकार देगा।
 

युवा संवाद 'विमर्श 2025' का भव्य उद्घाटन

नई दिल्ली। कमला नेहरू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में युवा संगठन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय वार्षिक युवा संवाद 'विमर्श 2025' का शानदार उद्घाटन हुआ। इस वर्ष का मुख्य विषय 'संविधान: भारत की आत्मा' है, जिसमें युवा, शिक्षाविद् और विचारक एकत्रित हुए हैं ताकि वे भारत के संवैधानिक मूल्यों और उसकी जीवंत भावना पर चर्चा कर सकें।


सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से कार्यक्रम की शुरुआत

कार्यक्रम की शुरुआत दक्षिण भारत के पारंपरिक नृत्य से हुई, जिसने भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता का अद्भुत प्रदर्शन किया। इसके बाद महाराष्ट्र के लोकनृत्य ने सभागार में उत्साह का माहौल बना दिया। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के बाद प्री-विमर्श प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया गया।


उद्घाटन सत्र की गतिविधियाँ

उद्घाटन सत्र की शुरुआत कविंदर तालियान ने की, जिन्होंने 'युवा' के उद्देश्य और उसकी यात्रा का परिचय देते हुए कहा कि 'जैसी दिशा युवाओं को मिलेगी, वैसी ही देश की दशा होगी।' विमर्श संयोजक डॉ. प्रतिभा त्यागी ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया और कैंपस क्रॉनिकल की वार्षिक पत्रिका 'संविधान – द सोल ऑफ भारत' का लोकार्पण किया।


विशिष्ट अतिथियों के विचार

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रो. अशोक कुमार नागावत (कुलपति, डीएसईयू) ने संविधान की समकालीन प्रासंगिकता पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने युवाओं से संविधान की भावना को समझने और अपने जीवन में अपनाने का आह्वान किया।


प्रो. डॉ. पवित्रा भारद्वाज (प्राचार्या, कमला नेहरू कॉलेज) ने युवाओं को लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रेरित किया और कहा कि 'संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि हमारे देश की आत्मा है।'


प्रो. बालाराम पाणी (डीन ऑफ कॉलेजेज, दिल्ली विश्वविद्यालय) ने कहा कि 'विमर्श जैसा मंच युवाओं को विचारशील और जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा प्रदान करता है।'


मुख्य अतिथि का प्रेरक संबोधन

मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता माननीय पूर्व न्यायधीश, न्यायमूर्ति ए.के. गोयल ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि 'भारत का संविधान विश्व के सबसे जीवंत संविधानों में से एक है, जिसमें शासन का ढांचा ही नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन भी समाहित है।' उन्होंने युवाओं से संविधान के मूल्यों को अपने आचरण का हिस्सा बनाने का आग्रह किया।


कार्यक्रम का समापन

कार्यक्रम के अंत में डॉ. प्रतिभा त्रिपाठी ने सभी अतिथियों, प्राध्यापकों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि 'विमर्श 2025' युवाओं के विचारों का ऐसा संगम है जो भारत के भविष्य की दिशा तय करेगा।