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युधिष्ठिर का श्राप: कुंती की कहानी और उसका प्रभाव

महाभारत के युद्ध के दौरान युधिष्ठिर ने अपनी माता कुंती को एक श्राप दिया था, जिसका प्रभाव आज भी महिलाओं पर देखा जा सकता है। इस श्राप का कारण और उसकी कहानी जानने के लिए पढ़ें। क्या आप जानते हैं कि युधिष्ठिर ने कुंती से क्या कहा था? इस लेख में हम इस श्राप के पीछे की कहानी और उसके वर्तमान प्रभाव पर चर्चा करेंगे।
 

युधिष्ठिर ने कुंती को दिया श्राप

युधिष्ठिर ने कुंती को दिया था श्राप

कुंती को मिला श्राप: द्वापर युग में पांडवों और कौरवों के बीच महाभारत का युद्ध लड़ा गया, जिसमें पांडवों की जीत हुई। इस महाकाव्य से जुड़ी कई घटनाएं आज भी प्रासंगिक हैं। पांडवों में सबसे बड़े भाई कर्ण थे, जो दुर्योधन के मित्र थे और उसके पक्ष में युद्ध करते थे।

महाभारत के युद्ध में कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटित हुईं। एक श्राप दिया गया था, जिसका प्रभाव आज भी महिलाओं पर देखा जा सकता है। यह श्राप पांडु पुत्र युधिष्ठिर ने अपनी माता कुंती को दिया था। आइए जानते हैं कि युधिष्ठिर ने अपनी माता को क्या श्राप दिया और इसके पीछे का कारण क्या था।

युधिष्ठिर का सवाल कुंती से

महाभारत के युद्ध के दौरान कर्ण और अर्जुन के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें अर्जुन ने विजय प्राप्त की। युद्ध समाप्त होने के बाद माता कुंती कर्ण के शव के पास पहुंचीं और विलाप करने लगीं। इस दृश्य को देखकर सभी पांडव दुखी हो गए। युधिष्ठिर ने अपनी माता से पूछा कि वह अपने शत्रु की मृत्यु पर क्यों रो रही हैं।

कुंती को दिया गया श्राप

युधिष्ठिर के प्रश्न का उत्तर देते हुए माता कुंती ने बताया कि कर्ण उनका सबसे बड़ा पुत्र था। यह सुनकर युधिष्ठिर को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने अपनी माता कुंती को श्राप दे दिया। उन्होंने कहा कि अब से कोई भी महिला अपने गर्भ में कोई बात नहीं छिपा सकेगी। मान्यता है कि युधिष्ठिर का यह श्राप आज भी महिलाओं पर प्रभाव डालता है।

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(यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है।)