मौलाना अरशद मदनी के विवादास्पद बयान पर राजनीतिक हलचल
मौलाना मदनी का बयान और उसकी प्रतिक्रिया
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने हाल ही में एक बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि मुसलमान लंदन और न्यूयॉर्क में मेयर बन सकते हैं, लेकिन भारत में किसी विश्वविद्यालय का कुलपति नहीं बन सकते। यह टिप्पणी दिल्ली में अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े दिल्ली ब्लास्ट मामले की जांच के संदर्भ में आई है। उनके इस बयान को तथ्यहीन और भ्रामक माना जा रहा है।
मदनी ने यह भी कहा कि अगर कोई मुसलमान कुलपति बनने की कोशिश करता है, तो उसे सपा नेता आज़म खान की तरह जेल जाना पड़ सकता है। उन्होंने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक जवाद अहमद सिद्दीकी का उदाहरण भी दिया, जो वर्तमान में ईडी की हिरासत में हैं। कांग्रेस और सपा ने इस बयान का समर्थन किया है, जो राजनीतिक लाभ के लिए अवसर की तलाश में हैं।
मुस्लिम कुलपतियों की मौजूदगी
भारत में मुस्लिम कुलपति
मदनी का यह आरोप तथ्यात्मक रूप से गलत है। वास्तव में, कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों में मुस्लिम कुलपति कार्यरत हैं। उदाहरण के लिए:
डॉ. नईमा खातून - अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) की कुलपति
डॉ. सैय्यद ऐलून हसन - मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (MANUU) के कुलपति
डॉ. मजहर आसिफ - जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति
इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि शिक्षा के क्षेत्र में मुसलमानों की भूमिका महत्वपूर्ण और स्वीकार्य है।
भाजपा की प्रतिक्रिया
भाजपा ने मदनी के आरोपों को खारिज किया
भाजपा ने मौलाना अरशद मदनी के आरोपों को गलत ठहराया है। पार्टी के नेता मोहसिन रज़ा ने कहा कि मदनी और उनका परिवार लंबे समय से मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं और भेदभाव की राजनीति करके केवल अपने लाभ के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मदनी ने मुस्लिम समुदाय के नाम पर लाभ उठाया है, लेकिन उनके लिए कोई ठोस कार्य नहीं किया। भाजपा नेता यासिर जिलानी ने यह भी कहा कि भारत मुसलमानों के लिए दुनिया की सबसे सुरक्षित और बेहतर जगह है।