मोहन भागवत ने स्वतंत्रता दिवस पर भारत की भूमिका पर जोर दिया
स्वतंत्रता दिवस पर मोहन भागवत का संबोधन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भुवनेश्वर में आयोजित एक सभा में भारत की वैश्विक शांति और सुख की खोज में अद्वितीय भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने देश की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत का उल्लेख करते हुए राष्ट्र को विश्व में सद्भाव के नए युग की ओर ले जाने की जिम्मेदारी लेने का आह्वान किया।
भागवत ने कहा कि भारतीयों को स्वतंत्रता के प्रति आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए। उन्होंने स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत और बलिदान की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, 'हमारे पूर्वजों ने सर्वोच्च बलिदान देकर हमें स्वतंत्रता दिलाई। हमें भी इसे बनाए रखने और देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उतनी ही मेहनत करनी होगी।'
राजेश लोया का स्वतंत्रता दिवस पर भाषण
इससे पहले, आरएसएस के नेता राजेश लोया ने नागपुर में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इस कार्यक्रम में आरएसएस के कार्यकर्ता और प्रचारक भी शामिल हुए। लोया ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने वालों के योगदान को याद करते हुए भारतीय सशस्त्र बलों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जब भी देश पर बुरी नजर डाली गई, सशस्त्र बलों ने उसका मुंहतोड़ जवाब दिया।
लोया ने कहा कि भारत ने अपने संसाधनों का उपयोग कर दुश्मनों को हराया है, और यह संभव हुआ है क्योंकि हाल के वर्षों में हमारा आत्मविश्वास जागृत हुआ है। उन्होंने कहा, 'हम आत्मनिर्भर बन रहे हैं और अपने स्व को जगा रहे हैं।'
भाषा और संस्कृति का महत्व
लोया ने यह भी कहा कि हमारी मातृभाषा हिंदी होनी चाहिए, जो व्यापक रूप से बोली जाती है। उन्होंने विदेशी भाषाओं के उपयोग को सामान्य संवाद तक सीमित रखने की बात कही। इसके अलावा, उन्होंने स्थानीय संस्कृति और भाषा के सम्मान की आवश्यकता पर जोर दिया।
आरएसएस ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति में एक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) डॉ. तुषार झांजडे मुख्य अतिथि थे।