मोहन भागवत ने भारतीय विज्ञान सम्मेलन में अंधविश्वासों से उबरने की आवश्यकता पर जोर दिया
आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने तिरुपति में भारतीय विज्ञान सम्मेलन में अंधविश्वासों से मुक्ति और क्षेत्रीय भाषाओं में ज्ञान के प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत को महाशक्ति और विश्व गुरु बनना चाहिए। भागवत ने शिक्षा के महत्व पर भी प्रकाश डाला और कहा कि ज्ञान सभी तक पहुंचना चाहिए। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू की विकास संबंधी प्रशंसा करते हुए उन्होंने समाज में समानता बनाए रखने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
Dec 26, 2025, 17:49 IST
आरएसएस प्रमुख का संबोधन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को तिरुपति में राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित भारतीय विज्ञान सम्मेलन (बीवीएस) के उद्घाटन सत्र में भाग लिया। उन्होंने भारत में अंधविश्वासों से मुक्ति, क्षेत्रीय भाषाओं में ज्ञान के प्रसार और विकास में संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू भी उपस्थित थे।
अपने संबोधन में भागवत ने कहा कि लोगों को पुराने अंधविश्वासों से बाहर निकलने की आवश्यकता है, और यह उन लोगों पर भी लागू होता है जो नए अंधविश्वासों में फंसे हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमारे प्राचीन मंदिरों की वास्तुकला ने उन्हें अनेक आपदाओं से सुरक्षित रखा है। पिछले दस हजार वर्षों से हम पारंपरिक खेती कर रहे हैं और मिट्टी की गुणवत्ता आज भी बनी हुई है। आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि भारत को केवल महाशक्ति नहीं, बल्कि विश्व गुरु बनना है।
उन्होंने आगे कहा कि उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता के चलते पंजाब से जयपुर तक 'कैंसर ट्रेन' चल रही है। भारत का विकास निश्चित है, क्योंकि यह समय की मांग है। भागवत ने शिक्षा और वैज्ञानिक जागरूकता के महत्व पर भी प्रकाश डाला, यह कहते हुए कि ज्ञान सभी तक पहुंचना चाहिए। मातृभाषा में शिक्षा लेना बहुत प्रभावशाली होता है, और विज्ञान का ज्ञान भारत की विभिन्न भाषाओं में आम जनता तक पहुंचाना चाहिए।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री की विकास संबंधी प्रशंसा करते हुए भागवत ने कहा, "मुख्यमंत्री (एन चंद्रबाबू नायडू) ने जो कहा है वह महत्वपूर्ण है, विकास ऐसा नहीं होना चाहिए जिससे समाज में दो अलग-अलग वर्ग बन जाएं।"