मोहन भागवत के नेतृत्व की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'संघ का यह कालखंड ऐतिहासिक है'
मोहन भागवत का 75वां जन्मदिन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मोहन भागवत की 'बौद्धिक गहराई और सहृदय नेतृत्व' की सराहना की है। उन्होंने कहा कि 2009 से आरएसएस प्रमुख के रूप में भागवत का कार्यकाल इस संगठन की 100 साल की यात्रा में सबसे परिवर्तनकारी माना जाएगा।
भागवत के 75वें जन्मदिन के अवसर पर कई समाचार पत्रों में प्रकाशित लेख में मोदी ने कहा कि संघ प्रमुख 'वसुधैव कुटुंबकम' के जीवंत उदाहरण हैं। उन्होंने अपना जीवन समाज को संगठित करने, समता और बंधुत्व की भावना को सशक्त करने में समर्पित किया है।
आरएसएस का शताब्दी वर्ष
मोदी ने कहा कि यह सुखद संयोग है कि इस साल विजया दशमी पर आरएसएस 100 वर्ष का हो जाएगा, जो महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के साथ आता है। उन्होंने भागवत को दूरदर्शी और मेहनती सरसंघचालक बताया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भागवत ने दिखाया है कि जब लोग सीमाओं से ऊपर उठते हैं और सभी को अपना मानते हैं, तो इससे समाज में विश्वास और भाईचारा मजबूत होता है।
भागवत का नेतृत्व
मोदी ने भागवत के मृदुभाषी स्वभाव की प्रशंसा की और कहा कि उनकी सुनने की अद्भुत क्षमता उनके दृष्टिकोण को गहराई देती है। उन्होंने कहा कि सरसंघचालक होना केवल एक संगठनात्मक जिम्मेदारी नहीं है।
उन्होंने कहा, 'असाधारण व्यक्तियों ने इस भूमिका को व्यक्तिगत त्याग और मां भारती के प्रति अटूट समर्पण के साथ निभाया है।' भागवत ने न केवल इस जिम्मेदारी को निभाया है, बल्कि इसमें अपनी व्यक्तिगत शक्ति और नेतृत्व भी जोड़ा है।
युवाओं से जुड़ाव
मोदी ने कहा कि भागवत का युवाओं से सहज जुड़ाव है और उन्होंने अधिक से अधिक युवाओं को संघ-कार्य के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे कार्यक्रमों में भागवत की रुचि की सराहना की।
मोदी ने कहा, 'भागवत जी हमेशा 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' के प्रबल पक्षधर रहे हैं। उनका भारत की विविधता और संस्कृतियों के उत्सव में दृढ़ विश्वास है।'
भागवत का संगीत में रुचि
मोदी ने बताया कि भागवत संगीत और गायन में भी रुचि रखते हैं और विभिन्न भारतीय वाद्ययंत्रों में निपुण हैं। उन्होंने कहा कि भागवत ने संघ को अक्षय वट बताया था, जो राष्ट्रीय संस्कृति को ऊर्जा देता है।
मोदी ने भागवत के परिवार के साथ अपने जुड़ाव को भी याद किया और कहा कि भागवत ने राष्ट्र-निर्माण के लिए अपने आप को समर्पित किया है।