मोहन भागवत की अपील: भारत को विश्व गुरु बनाने की दिशा में कदम बढ़ाएं
हिंदू समाज के कल्याण के लिए प्रयास
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू समुदाय से आग्रह किया है कि वे भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए प्रयास करें, जिससे समाज और पूरी दुनिया का कल्याण हो सके।
एक अंतरराष्ट्रीय हिंदू संगठनों के सम्मेलन 'विश्व संघ शिविर' के समापन पर उन्होंने कहा कि हिंदुओं और स्वयंसेवकों को यह दिखाना होगा कि मानव बुद्धि को वैश्विक कल्याण के लिए कैसे उपयोग किया जा सकता है।
भागवत ने कहा, “प्रौद्योगिकी का विकास जारी रहेगा। सोशल मीडिया का विस्तार होगा। ए.आई. का आगमन होगा। लेकिन, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रौद्योगिकी के दुष्प्रभाव न हों। मानवता प्रौद्योगिकी की दासी नहीं बनेगी; इंसान ही इसका स्वामी रहेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “मानव बुद्धि को तकनीक के माध्यम से विश्व कल्याण की दिशा में आगे बढ़ाना चाहिए, न कि इसके विपरीत। इसके लिए हमें खुद उदाहरण बनकर जीना होगा। यह संदेश पूरे भारतीय समाज के लिए है।”
भागवत ने यह भी कहा कि अन्य देशों में लोग अधिकतम भलाई नहीं कर सके हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि हिंदू समाज को ऐसी जीवनशैली अपनानी चाहिए जिससे अन्य लोग उनसे सीख सकें।
उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंदू समाज को अपने आदर्शों को फैलाने के लिए पूरी दुनिया में प्रयास करना चाहिए, लेकिन यह सैन्य या आर्थिक दबाव के माध्यम से नहीं, बल्कि अपने उच्च जीवन-मूल्यों के जरिए होना चाहिए।
भागवत ने भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि यह केवल हिंदू समाज की इच्छा नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “दुनिया हमसे उम्मीदें लगाए हुए है। हमें विश्व गुरु बनना है, लेकिन यह आसान नहीं है। इसके लिए कठिन परिश्रम की आवश्यकता है। यह परिश्रम विभिन्न स्थानों पर हो रहा है। संघ ऐसी एक जगह है।”