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मोहन भागवत का मणिपुर दौरा: सरकार गठन की आवश्यकता पर बीजेपी का समर्थन

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर में सरकार गठन की आवश्यकता पर जोर दिया है, जिस पर बीजेपी ने भी सहमति जताई है। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है और हालात सामान्य करने के लिए प्रयास जारी हैं। भागवत का यह दौरा दो साल पहले हुई जातीय हिंसा के बाद का पहला है। जानें इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम के बारे में और क्या हो सकता है आगे।
 

मणिपुर में सरकार गठन की आवश्यकता

संघ प्रमुख मोहन भागवत और बीजेपी

मणिपुर में फरवरी में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दिया था, जिसके बाद से राष्ट्रपति शासन लागू है। अगस्त में इसे छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया। इस समय संघ प्रमुख मोहन भागवत मणिपुर के दौरे पर हैं और इम्फाल में एक कार्यक्रम में उन्होंने सरकार गठन की आवश्यकता पर जोर दिया। बीजेपी ने भी उनके इस बयान का समर्थन किया है।

मोहन भागवत ने कहा कि “केंद्र सरकार पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए है, और वहां सामान्य स्थिति बहाल हो रही है। राज्य और देश के हित में जो भी आवश्यक होगा, वह किया जाएगा।”

इससे स्पष्ट है कि मणिपुर में जल्द ही सरकार का गठन हो सकता है।

संघ प्रमुख का बयान

इम्फाल में एक कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने कहा कि वह सरकार और राजनीतिक मामलों में ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करते, लेकिन मणिपुर में सरकार का होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि शांति जल्द स्थापित होगी, हालांकि आंतरिक शांति में कुछ समय लगेगा।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत दो साल पहले हुई जातीय हिंसा के बाद पहली बार मणिपुर आए हैं। उनका यहां तीन दिनों का कार्यक्रम है।

जातीय हिंसा का इतिहास

मणिपुर में मई 2023 से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़की थी, जिसमें 260 से अधिक लोग मारे गए और हजारों लोग बेघर हुए। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने फरवरी 2025 में इस्तीफा दिया, जिसके बाद केंद्र ने राष्ट्रपति शासन लागू किया। राज्य विधानसभा, जिसका कार्यकाल 2027 तक है, को निलंबित कर दिया गया है।