×

मोहन भागवत का बयान: राजनीति में संघ का समर्थन नहीं, केवल नीतियों का

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बेंगलुरु में अपने बयान में स्पष्ट किया कि संघ केवल नीतियों का समर्थन करता है, न कि किसी विशेष राजनीतिक दल का। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस राम मंदिर आंदोलन को आगे बढ़ाती, तो संघ उनका भी समर्थन करता। भागवत ने यह भी बताया कि संघ का उद्देश्य हिंदू समाज को एकजुट करना है, ताकि एक मजबूत भारत का निर्माण हो सके। जानें उनके विचारों के बारे में और संघ की राजनीतिक भूमिका पर उनके दृष्टिकोण को।
 

संघ का राजनीतिक दृष्टिकोण

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

बेंगलुरु में आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने संघ के राजनीतिक समर्थन और विचारों पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ नीतियों का समर्थन करता है, न कि किसी विशेष व्यक्ति या पार्टी का। उदाहरण देते हुए उन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन और राम मंदिर का उल्लेख किया, यह बताते हुए कि संघ राष्ट्रनीति का समर्थन करता है, राजनीति का नहीं।

भागवत ने कहा कि संघ राजनीति में विश्वास नहीं करता क्योंकि यह समाज को विभाजित करता है, जबकि संघ एकता को बढ़ावा देता है। उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस राम मंदिर आंदोलन को आगे बढ़ाती, तो संघ उनका भी समर्थन करता। संघ का ध्यान राष्ट्रनीति पर है, न कि राजनीतिक दलों पर।


राजनीतिक दलों की संघ के प्रति अनदेखी

राजनीतिक दल संघ को स्वीकार नहीं करते

मोहन भागवत ने कहा कि संघ का सिद्धांत 'सबका साथ, सबका विकास' है। उन्होंने बताया कि संघ के स्वयंसेवक इस नारे की आवश्यकता को महसूस कर रहे हैं। भागवत ने यह भी कहा कि राजनीतिक दल संघ को स्वीकार नहीं करते हैं, और केवल बीजेपी ही संघ के लिए अपने दरवाजे खोलती है।


हिंदू समाज की एकता का लक्ष्य

हिंदू समाज को एकजुट करना है

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि उनका उद्देश्य संपूर्ण हिंदू समाज को एकजुट करना और संगठित करना है, ताकि वे एक समृद्ध और मजबूत भारत का निर्माण कर सकें। उनका मानना है कि यह कार्य पूरे समाज और राष्ट्र द्वारा किया जाना चाहिए। भागवत ने कहा कि उनका एकमात्र विजन एक संगठित और मजबूत हिंदू समाज का निर्माण करना है।