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मोदी सरकार का बजट: उद्योग जगत की नई मांगें और उम्मीदें

मोदी सरकार के आगामी बजट को लेकर उद्योग जगत ने नई मांगें उठाई हैं। पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ने आम नागरिकों के लिए आयकर में राहत और कॉरपोरेट कर में कमी की सिफारिश की है। जानें इस बार के बजट में क्या बदलाव हो सकते हैं और उद्योग जगत की क्या उम्मीदें हैं।
 

बजट की तैयारी में सरकार

अगले बजट की घोषणा में अब केवल तीन महीने का समय रह गया है। इसको लेकर सरकार ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है, जबकि उद्योग जगत भी बजट पर चर्चा करने में जुट गया है। इस संदर्भ में, पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स (PHDCCI) ने सरकार से अनुरोध किया है कि आम नागरिकों को आयकर में और राहत दी जाए।


उद्योग संगठन का कहना है कि जो व्यक्तिगत करदाता सालाना 50 लाख रुपये तक कमाते हैं, उन्हें कर की दरों में छूट मिलनी चाहिए। यदि सरकार इस पर विचार करती है, तो यह आय सीमा कर मुक्त हो सकती है। उन्होंने सुझाव दिया है कि नए कर प्रणाली के तहत 30 प्रतिशत की दर को 50 लाख रुपये से अधिक की आय पर लागू किया जाए। वर्तमान में, यह दर 24 लाख रुपये से अधिक की आय पर लागू होती है।


कॉरपोरेट कर में कमी की मांग भी उठाई गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगले साल 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी। इससे पहले, PHDCCI ने व्यक्तिगत करदाताओं के साथ-साथ कॉरपोरेट कर को भी 25 प्रतिशत से नीचे लाने की सिफारिश की है।


उद्योग संगठन ने बताया कि पहले कॉरपोरेट कर 35 प्रतिशत था, जो अब घटकर 25 प्रतिशत हो गया है। इससे कर संग्रह में भी वृद्धि हुई है, जो 2018-19 में 6.63 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 8.87 लाख करोड़ रुपये हो गया है।


उद्योग संगठन ने यह भी कहा कि वर्तमान में व्यक्तिगत कर की उच्चतम दर 30 प्रतिशत है, जिस पर 5 से 25 प्रतिशत तक सरचार्ज लगता है। इस प्रकार, कुछ मामलों में कर की दर 39 प्रतिशत तक पहुंच जाती है। उन्होंने सुझाव दिया कि 30 लाख रुपये तक की आय पर अधिकतम कर 20 प्रतिशत होना चाहिए और 30 से 50 लाख रुपये तक की आय पर यह 25 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।


नई कंपनियों को प्रोत्साहित करने के लिए, पीएचडी चैंबर ने आयकर की धारा 115BAB में बदलाव की मांग की है, ताकि नई इकाइयों पर कर की दर 15 प्रतिशत से अधिक न हो। यह कर दर सितंबर 2019 में लागू की गई थी और इसे 31 मार्च 2024 तक बढ़ा दिया गया था।