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मोतिहारी विधानसभा सीट: बीजेपी की अजेयता और विपक्ष की चुनौती

बिहार के मोतिहारी विधानसभा चुनाव में बीजेपी का 20 सालों से अजेय दबदबा है, जबकि विपक्ष की महागठबंधन इस बार चुनौती पेश करने की कोशिश कर रहा है। कांग्रेस ने यहाँ अपनी ऐतिहासिक जीत की हैट्रिक बनाई थी, लेकिन पिछले कई चुनावों में उसे सफलता नहीं मिली। क्या 2025 के चुनाव में बीजेपी अपनी जीत का सिलसिला जारी रख पाएगी या फिर विपक्षी दलों की रणनीतियाँ रंग लाएंगी? जानिए इस महत्वपूर्ण सीट की राजनीतिक कहानी।
 

मोतिहारी सीट पर बीजेपी का दबदबा


मोतिहारी सीट पर बीजेपी का लंबे समय से दबदबा कायम है.

बिहार में विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। विभिन्न दलों के बीच सीटों के बंटवारे पर चर्चा चल रही है। पूर्वी चंपारण जिले की मोतिहारी सीट पर बीजेपी ने पिछले 20 वर्षों से अपनी स्थिति मजबूत रखी है, और विपक्ष की सभी कोशिशें विफल रही हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या महागठबंधन बीजेपी के इस अजेय रथ को रोकने में सफल होगा।

मोतिहारी सीट पर बीजेपी से पहले दो अन्य दलों ने जीत की हैट्रिक बनाई थी। हाल ही में, कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने बिहार में अपनी पहली रैली के लिए मोतिहारी का चयन किया, जो इस सीट के लिए महत्वपूर्ण है। कांग्रेस को यहां जीत का अनुभव 45 साल से अधिक समय से नहीं मिला है।


कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत

पूर्वी चंपारण जिले में 12 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें मोतिहारी भी शामिल है। यहाँ 1952 में पहले विधानसभा चुनाव हुए थे। तब से लेकर 2020 तक, कांग्रेस ने यहाँ 7 बार जीत हासिल की है, जबकि बीजेपी ने 5 बार और कम्युनिस्ट पार्टी ने 3 बार जीत दर्ज की है।

इस क्षेत्र में कभी वामपंथ का प्रभाव था, और कम्युनिस्ट पार्टी ने कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाई थी। 1952 में कांग्रेस ने पहली बार जीत दर्ज की, और फिर 1957 और 1962 में भी जीत की हैट्रिक बनाई। हालांकि, इन चुनावों में अलग-अलग प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी।


प्रभावती गुप्ता की हैट्रिक

1967 में भारतीय जन संघ ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली, लेकिन 1969 में कांग्रेस ने वापसी की। 1972 में प्रभावती गुप्ता ने पहली बार चुनाव लड़ा और लगातार 3 बार जीत हासिल की, जिससे वह इस सीट पर हैट्रिक लगाने वाली पहली नेता बनीं।

प्रभावती ने 1972 में जनसंघ के चंद्रिका प्रसाद यादव को हराया और 1977 और 1980 में भी जीत दर्ज की। 1984 में उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा और सांसद बनीं, लेकिन इसके बाद कांग्रेस को इस सीट पर जीत नहीं मिली।


कम्युनिस्ट पार्टी की जीत

1985 में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा और CPI के त्रिवेणी तिवारी ने जीत हासिल की। उन्होंने 1990 और 1995 में भी जीत दर्ज की, जिससे उनकी हैट्रिक बनी। इस दौरान जनता दल के कई टुकड़े हुए और राष्ट्रीय जनता दल का गठन हुआ।

राष्ट्रीय जनता दल ने 2000 के विधानसभा चुनाव में CPI की जीत को रोका और रमा देवी ने बीजेपी के प्रमोद कुमार को हराया। यह लालू की पार्टी की पहली और आखिरी जीत रही।


प्रमोद कुमार की लगातार जीत

2005 में बीजेपी ने चुनाव में जीत हासिल की, और प्रमोद कुमार ने अपनी पहली जीत दर्ज की। उन्होंने 2010 में भी जीत की हैट्रिक बनाई। 2015 में उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल के बिनोद कुमार श्रीवास्तव को हराया।

प्रमोद कुमार ने 2020 में भी जीत का सिलसिला जारी रखा, और राष्ट्रीय जनता दल के ओम प्रकाश चौधरी को हराया। इस प्रकार, लालू की पार्टी को इस सीट पर लगातार 5 बार हार का सामना करना पड़ा है।


आगामी चुनाव की चुनौतियाँ

अब यह देखना होगा कि 2025 के चुनाव में बीजेपी मोतिहारी सीट पर जीत का सिलसिला जारी रख पाती है या फिर लालू की पार्टी अपने सहयोगी दल कांग्रेस के साथ मिलकर बीजेपी के किले में सेंध लगाने में सफल होगी। मुकाबला निश्चित रूप से कड़ा रहेगा।