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मोक्षदा एकादशी 2025: व्रत के नियम और आहार

मोक्षदा एकादशी 2025 का व्रत भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है। इस दिन का महत्व गीता जयंती से भी जुड़ा है। जानें इस दिन क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, साथ ही व्रत के सही नियम। इस जानकारी से आप अपने व्रत को सही तरीके से निभा सकेंगे।
 

मोक्षदा एकादशी 2025

मोक्षदा एकादशी 2025

मोक्षदा एकादशी 2025: हर महीने दो बार एकादशी का व्रत किया जाता है, जो भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था, इसलिए इसे गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन विधिपूर्वक भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है।

इस दिन व्रत रखने से जीवन के सभी संकट दूर होने की मान्यता है और सुख-समृद्धि बनी रहती है। मोक्षदा एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है, लेकिन इसके नियम काफी कठिन होते हैं। आइए जानते हैं कि इस दिन क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।

मोक्षदा एकादशी कब है? (Mokshada Ekadashi 2025 कब है?)

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 नवंबर को रात 9:29 बजे शुरू होगी और 1 दिसंबर को सुबह 7:01 बजे समाप्त होगी। इसलिए, मोक्षदा एकादशी इस साल 1 दिसंबर को मनाई जाएगी।

व्रत के दौरान क्या खाएं? (Mokshada Ekadashi 2025 व्रत में क्या खाएं?)

मोक्षदा एकादशी के दिन केला, सेब, संतरा, अंगूर जैसे फल खा सकते हैं। दूध, दही, पनीर और छाछ का सेवन भी किया जा सकता है। आलू, शकरकंद, अरबी और सिंघाड़े के आटे से बनी चीजें खाई जा सकती हैं। कुट्टू का आटा, साबूदाना और राजगिरा का उपयोग किया जा सकता है। टमाटर, गाजर, लौकी और ककड़ी भी खाई जा सकती हैं।

व्रत के दौरान क्या न खाएं? (Mokshada Ekadashi 2025 व्रत में क्या न खाएं?)

इस दिन चावल, गेहूं, दालें और सामान्य नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा और अन्य तामसिक भोजन से बचना चाहिए। मसालों में हल्दी, हींग, राई और मेथी दाना का उपयोग नहीं करना चाहिए। एकादशी के दिन बासी या दोबारा गरम किया गया खाना नहीं खाना चाहिए।

मोक्षदा एकादशी व्रत के सही नियम (Mokshada Ekadashi 2025 व्रत नियम)

एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु तथा श्री कृष्ण की पूजा करें। व्रत का संकल्प लें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जप करें। इस दिन गीता जयंती भी है, इसलिए श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ अवश्य करें। रात में जागकर भजन-कीर्तन करें। द्वादशी तिथि के दिन सूर्योदय के बाद ही व्रत का पारण करें और पारण से पहले किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन कराकर दान दें।

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(इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है।)