मेडागास्कर में युवा नेतृत्व वाले प्रदर्शनों ने सरकार को भंग करने पर मजबूर किया
मेडागास्कर में हिंसक विरोध प्रदर्शनों का उभार
अंतानानारिवो। मेडागास्कर, जो अफ्रीका के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित एक द्वीपीय देश है, में युवाओं द्वारा शुरू किए गए हिंसक विरोध प्रदर्शनों ने सरकार को भंग करने के लिए मजबूर कर दिया है। बिजली और पानी की कमी से परेशान युवा पिछले हफ्ते से आंदोलन में शामिल होकर राजधानी अंतानानारिवो की सड़कों पर उतर आए हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इन प्रदर्शनों में कम से कम 22 लोगों की जान गई है और 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं। राष्ट्रपति एंड्री रजोएलिना ने सोमवार को एक टेलीविजन संबोधन में पूरी सरकार को भंग करने की घोषणा की और जनता से माफी मांगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह रजोएलिना के 2023 में पुनः चुनाव जीतने के बाद उनकी सत्ता के लिए सबसे गंभीर चुनौती है और हाल के वर्षों में मेडागास्कर में देखी गई सबसे बड़ी अशांति है।
प्रदर्शनों की शुरुआत और हिंसा का दौर
विरोध प्रदर्शन पिछले हफ्ते शुरू हुए और सोमवार, 29 सितंबर को चरम पर पहुंच गए। राजधानी अंतानानारिवो के प्रमुख विश्वविद्यालय में सैकड़ों युवा इकट्ठा हुए, जहां उन्होंने प्लेकार्ड थामे राष्ट्रीय गान गाया और शहर के केंद्र की ओर मार्च करने का प्रयास किया। प्रदर्शनकारियों ने नेपाल के हालिया आंदोलनों से प्रेरित होकर वहां के झंडे का इस्तेमाल किया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स पर एकजुट हुए ये युवा मुख्य रूप से बेरोजगारी, आर्थिक संकट और दैनिक जीवन की बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे थे।
हालांकि, मार्च के दौरान पुलिस ने आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाकर भीड़ को तितर-बितर कर दिया। इससे स्थिति और बिगड़ गई। राजधानी में लूटपाट की घटनाएं बढ़ गईं, जिसमें सुपरमार्केट, उपकरण की दुकानें, बैंक और राजनेताओं के घरों को निशाना बनाया गया। अंतानानारिवो की आबादी 14 लाख है, लेकिन इन दंगों ने पूरे शहर को अराजकता की चपेट में ला दिया। पिछले हफ्ते से ही शाम ढलते ही सुबह तक कर्फ्यू लगा हुआ है, जिसे सुरक्षा बल सख्ती से लागू कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय ने मृतकों की संख्या 22 बताई है, जिसमें प्रदर्शनकारी, राहगीर और लूटपाट के दौरान मारे गए लोग शामिल हैं। घायलों की संख्या 100 से अधिक है। हालांकि, मेडागास्कर के विदेश मंत्रालय ने इन आंकड़ों को खारिज करते हुए कहा कि ये “अफवाहों या गलत सूचनाओं” पर आधारित हैं। मौतों में कुछ गुटों द्वारा की गई हिंसा भी शामिल है, जो प्रदर्शनों से अलग थीं।
बिजली-पानी की कमी: आंदोलन की जड़
प्रदर्शनकारियों का मुख्य गुस्सा बिजली की बार-बार होने वाली कटौती और पानी की भारी कमी पर केंद्रित था। मेडागास्कर अफ्रीका के सबसे गरीब देशों में से एक है। यह लंबे समय से आर्थिक संकट से जूझ रहा है। विश्व बैंक के अनुसार, 2022 में इसकी 3 करोड़ आबादी का लगभग 75 प्रतिशत गरीबी रेखा से नीचे जी रहा था। युवा बेरोजगारी और महंगाई ने हालात को और बदतर बना दिया है। प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति रजोएलिना की सरकार को इन बुनियादी सुविधाओं में सुधार न करने का दोषी ठहरा रहे थे। ये आंदोलन केन्या, नेपाल और मोरक्को के युवा-नेतृत्व वाले हालिया प्रदर्शनों से प्रेरित दिखे, जहां सोशल मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रदर्शनकारियों ने सरकार की नाकामी को “दैनिक जीवन पर हमला” करार दिया।
राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया: सरकार भंग, माफी और संवाद का वादा
राष्ट्रपति एंड्री रजोएलिना 2023 में फिर से चुने गए थे। उन्होंने इन घटनाओं को अपनी सत्ता के लिए सबसे बड़ा खतरा माना। सोमवार को टेलीविजन संबोधन में उन्होंने कहा, “हम मानते हैं और माफी मांगते हैं यदि सरकार के सदस्यों ने उन्हें सौंपी गई जिम्मेदारियां पूरी नहीं कीं।” उन्होंने आगे कहा, “मैं गुस्से, उदासी और बिजली कटौती तथा पानी की आपूर्ति की समस्याओं से उत्पन्न कठिनाइयों को समझता हूं। मैंने पुकार सुनी, दर्द महसूस किया, दैनिक जीवन पर प्रभाव को समझा।”
रजोएलिना ने सरकार को तत्काल भंग करने की घोषणा की और लूटपाट से प्रभावित व्यवसायों को सहायता देने का वादा किया। उन्होंने युवाओं से संवाद खोलने की इच्छा जताई, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। यह कदम मेडागास्कर में वर्षों बाद सबसे बड़ा राजनीतिक उथल-पुथल का संकेत देता है।
मेडागास्कर की राजनीतिक पृष्ठभूमि
मेडागास्कर लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता से ग्रस्त रहा है। 2009 में रजोएलिना खुद एक तख्तापलट के जरिए सत्ता में आए थे, लेकिन 2023 के चुनावों में वे फिर जीते। देश की अर्थव्यवस्था कृषि और खनन पर निर्भर है, लेकिन जलवायु परिवर्तन, चक्रवात और वैश्विक महामारी ने इसे बुरी तरह प्रभावित किया है। युवा आबादी, जो कुल जनसंख्या का बड़ा हिस्सा है, वह बदलाव की मांग कर रही है, लेकिन सरकार की नीतियां अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरीं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र ने हिंसा की निंदा की है, लेकिन कोई विशेष प्रतिक्रिया अभी सामने नहीं आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ा सकती है, यदि मूल समस्याओं का समाधान न हो।