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मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा: गरुड़ पुराण के रहस्य

गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा का मार्ग और नर्क के रहस्य जानें। यह लेख बताता है कि कैसे कर्मों के आधार पर आत्मा स्वर्ग या नर्क की ओर बढ़ती है। जानें कि नर्क में कौन से पापियों को भेजा जाता है और कैसे चित्रगुप्त आत्मा के कर्मफल का लेखा रखते हैं। यदि आप नर्क की यातनाओं से बचना चाहते हैं, तो धर्म के मार्ग पर चलने और दान करने के महत्व को समझें।
 

मृत्यु के बाद आत्मा का मार्ग


हिंदू धर्म के ग्रंथों के अनुसार, जब किसी व्यक्ति का निधन होता है, तो उसकी आत्मा शरीर को छोड़कर अपने कर्मों के अनुसार स्वर्ग या नर्क की ओर बढ़ती है। कठोपनिषद और गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद आत्मा की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तृत विवरण मिलता है।


गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु ने गरुड़ को यममार्ग और नर्क के रहस्यों के बारे में बताया है। इसमें कहा गया है कि इस ब्रह्मांड में कुल 84 लाख नर्क हैं, जिनमें से 21 प्रमुख हैं— तामिस्र, लोहशंकु, महारौरव, शल्मली, रौरव, कुड्मल, कालसूत्र, पूतिमृत्तिक, संघात, लोहितोद, सविष, संप्रतापन, महानिरय, काकोल, संजीवन, महापथ, अविचि, अंधतामिस्र, कुंभीपाक, संप्रतापन और तपन।


इन नर्कों में वे पापी जीव भेजे जाते हैं जो धर्म से विमुख होते हैं और अपने बुरे कर्मों के कारण स्वर्ग के योग्य नहीं बनते। यहां यमदूत पापियों को उनके पाप के अनुसार कठोर दंड देते हैं।


मृत्यु के बाद, आत्मा को सबसे पहले चित्रगुप्त के सामने पेश किया जाता है। चित्रगुप्त, यमराज के सेवक हैं और सभी जीवों के पाप-पुण्य का लेखा रखते हैं। वे आत्मा को उसके कर्मफल के बारे में बताते हैं, और फिर अदालत की तरह यह तय किया जाता है कि आत्मा स्वर्ग जाएगी या नर्क।


यदि आत्मा को नर्क भेजने का निर्णय लिया जाता है, तो यमराज अपने दूत— चंड और प्रचंड— को आदेश देते हैं कि पापी आत्मा को यमलोक से नर्क ले जाया जाए। गरुड़ पुराण में नर्क का वर्णन करते हुए कहा गया है कि यहां एक अग्नि की तरह जलता हुआ शाल्मली वृक्ष है, जिसकी ऊंचाई लगभग 12 किलोमीटर और विस्तार 40 किलोमीटर है। यमदूत पापियों को इस वृक्ष पर बांधकर कठोर दंड देते हैं।


गरुड़ पुराण यह भी बताता है कि वे लोग नर्क भोगते हैं, जो केवल अपने और अपने परिवार के लिए धन अर्जित करते हैं और ईश्वर का ध्यान नहीं करते। ऐसे लोग पुण्य से विमुख होकर नर्क का कष्ट भोगते हैं।


इसलिए, यदि आप नर्क की यातनाओं से बचना चाहते हैं, तो अपने जीवन में अन्न और धन का दान अवश्य करें, धर्म के मार्ग पर चलें और ईश्वर का स्मरण करते रहें।