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मुलायम सिंह यादव की समधन पर भ्रष्टाचार का मामला दर्ज

लखनऊ में पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की समधन अंबी बिष्ट के खिलाफ भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में कई पूर्व अधिकारियों का नाम भी शामिल है। जानकीपुरम की प्रियदर्शिनी भूखंड योजना में अनियमितताओं के आरोपों के चलते यह कार्रवाई की गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच यूपी विजिलेंस को सौंप दी है। कोर्ट ने सरकारी तंत्र की ढिलाई पर भी चिंता जताई है। पूरी जानकारी के लिए पढ़ें आगे।
 

लखनऊ में मामला दर्ज


लखनऊ: पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव की समधन अंबी बिष्ट के खिलाफ लखनऊ विजिलेंस ने भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया है। अंबी बिष्ट, मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव की मां हैं। इस एफआईआर में अंबी बिष्ट के साथ लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के कई पूर्व अधिकारियों का भी नाम शामिल है, जिनमें अनुभाग अधिकारी वीरेंद्र सिंह, उप सचिव देवेंद्र सिंह राठौर, वरिष्ठ कास्ट अकाउंटेंट सुरेश विष्णु महादाणें और अवर वर्ग सहायक शैलेंद्र कुमार गुप्ता शामिल हैं।


प्रियदर्शिनी योजना में अनियमितता

इन सभी पर जानकीपुरम की प्रियदर्शिनी भूखंड योजना में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया गया है। उस समय अंबी बिष्ट एलडीए में संपत्ति अधिकारी थीं। 23 नवंबर 2016 को सरकार ने भूखंडों के आवंटन और पंजीकरण में हुई अनियमितताओं की जांच का आदेश दिया था।


हाई कोर्ट की जांच का आदेश

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने करोड़ों की जमीन अपात्रों को बैनामा करने और धन हड़पने के मामले में ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) की जांच पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने निर्देश दिया कि अब यह जांच यूपी विजिलेंस निदेशक समिति द्वारा की जाएगी और 25 सितंबर तक पहली रिपोर्ट पेश करनी होगी।


कोर्ट की टिप्पणियां

जस्टिस पंकज भाटिया की बेंच ने यह आदेश समिति के मौजूदा पदाधिकारियों की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। कोर्ट ने पाया कि पूर्व पदाधिकारी प्रवीन सिंह बाफिला और लाखन सिंह बलियानी ने कार्यकाल खत्म होने के बाद भी अपात्र लोगों को जमीन दी और करोड़ों रुपए हड़प लिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकारी तंत्र की ढिलाई स्पष्ट है। या तो राजनीतिक दबाव है या फिर किसी अन्य कारण से जांच में तेजी नहीं आ रही है।