×

मुरादाबाद में भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई: बैंक अधिकारी रंगे हाथों गिरफ्तार

मुरादाबाद में भ्रष्टाचार निवारण इकाई ने एक बैंक अधिकारी को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया है। यह मामला अमरोहा जिले की सहकारी ग्राम विकास बैंक की हसनपुर शाखा से जुड़ा है, जहां एक किसान को लोन के चेक के बदले रिश्वत की मांग की गई थी। इस कार्रवाई ने क्षेत्र में हलचल मचा दी है और यह दर्शाता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। जानें इस मामले की पूरी कहानी और इसके पीछे की सच्चाई।
 

भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम

मयंक त्रिगुण, वरिष्ठ संवाददाता


मुरादाबाद में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कार्रवाई ने सभी को चौंका दिया है। यहां की भ्रष्टाचार निवारण इकाई ने अमरोहा जिले की सहकारी ग्राम विकास बैंक की हसनपुर शाखा में तैनात एक अधिकारी को रिश्वत लेते हुए पकड़ा। यह अधिकारी सहायक/एसपीटीएस अजोजे कुमार सिंह हैं, जिन्हें रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। इस घटना ने क्षेत्र में हलचल मचा दी है, क्योंकि लोग बैंक जैसी संस्थाओं पर भरोसा करते हैं, लेकिन ऐसे मामले विश्वास को तोड़ते हैं। आइए जानते हैं कि यह पूरा मामला कैसे सामने आया और इसकी अहमियत क्या है।


भ्रष्टाचार हमारे समाज की एक गंभीर समस्या है, जो विकास में बाधा डालती है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां किसान और आम लोग बैंक लोन पर निर्भर होते हैं, ऐसे अधिकारी जो रिश्वत मांगते हैं, वे लोगों की मेहनत पर पानी फेर देते हैं। मुरादाबाद की भ्रष्टाचार निवारण इकाई ऐसे मामलों पर नजर रखती है और समय-समय पर कार्रवाई करती है। इस बार भी उन्होंने एक शिकायत पर त्वरित कार्रवाई की, जो दर्शाता है कि कानून की नजर से कोई बच नहीं सकता। इस ऑपरेशन का नेतृत्व निरीक्षक नवल मारवाल ने किया, जिनकी अगुवाई में यह कार्रवाई सफल रही।


शिकायतकर्ता की कहानी: लोन के चेक के बदले रिश्वत की मांग

यह कहानी अमरोहा जिले के हसनपुर थाना क्षेत्र के गांव मंगलोली से शुरू होती है। यहां के निवासी केदारनाथ सिंह, जो धरसाराम के बेटे हैं, ने बैंक से लोन लिया था। उनके लोन की शेष राशि 1,50,000 रुपये का चेक जारी करने के लिए बैंक अधिकारी अजोजे कुमार सिंह ने उनसे 20,000 रुपये की रिश्वत मांगी। केदारनाथ जैसे आम किसान के लिए यह राशि बहुत बड़ी होती है, लेकिन लोन की आवश्यकता के कारण वे मजबूर थे। उन्होंने इसकी शिकायत भ्रष्टाचार निवारण इकाई से की। यह शिकायत कोई अफवाह नहीं थी, बल्कि सच्चाई पर आधारित थी। इसके बाद टीम ने पहले शिकायत की जांच की और फिर योजना बनाई।


यह मामला हमें याद दिलाता है कि ग्रामीण बैंकिंग प्रणाली में कितनी कमियां हैं। सहकारी बैंक गांवों में विकास के लिए स्थापित किए गए हैं, लेकिन यदि अधिकारी ही भ्रष्ट हो जाएं तो क्या होगा? केदारनाथ की तरह हजारों लोग रोज ऐसी समस्याओं का सामना करते हैं। रिश्वत मांगना न केवल अवैध है, बल्कि यह गरीबों का शोषण भी है। सरकार ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए कई कानून बनाए हैं, जैसे Prevention of Corruption Act, और ऐसी इकाइयां इसी के तहत कार्य करती हैं। इस शिकायत ने साबित किया कि यदि कोई आवाज उठाए, तो न्याय मिल सकता है।


ट्रैप ऑपरेशन: कैसे बिछाया गया जाल?

शिकायत मिलने के बाद भ्रष्टाचार निवारण टीम ने तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने पहले शिकायत की सत्यापन की, यानी जांच की कि आरोप सही हैं या नहीं। जब सब कुछ स्पष्ट हो गया, तो उन्होंने एक ट्रैप तैयार किया। केदारनाथ को निर्देश दिए गए कि वे रिश्वत की राशि लेकर जाएं, लेकिन टीम की नजर में। सुबह करीब 11:55 बजे, जब अजोजे कुमार सिंह बैंक परिसर में रिश्वत ले रहे थे, तभी टीम ने छापा मारा और उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया। 20,000 रुपये की राशि उनके पास से बरामद की गई, जो सबूत के तौर पर जब्त की गई।


ऐसे ऑपरेशन में टीम को बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है। कोई गलती हो जाए तो आरोपी बच सकता है। लेकिन यहां नवल मारवाल की टीम ने सब कुछ सही तरीके से संभाला। यह घटना बैंक शाखा हसनपुर में हुई, जो अमरोहा जिले में स्थित है। मुरादाबाद की टीम ने यहां कार्रवाई की क्योंकि यह उनके क्षेत्र में आता है। ऐसे मामलों में ट्रैप के दौरान वीडियो रिकॉर्डिंग या गवाह भी रखे जाते हैं, ताकि कोर्ट में मजबूत केस बने। इस गिरफ्तारी ने क्षेत्र के अन्य अधिकारियों को भी चेतावनी दी है कि भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


आगे की कार्रवाई: जांच और मुकदमा

ट्रैप सफल होने के बाद टीम ने पूरी प्रक्रिया का पालन किया। उन्होंने थाना हसनपुर में एफआईआर दर्ज करने की तैयारी शुरू कर दी। मामले की जांच अब निरीक्षक शैलेंद्र सिंह को सौंपी गई है। वे इसकी गहराई से जांच करेंगे, ताकि कोई सबूत छूट न जाए। आरोपी अजोजे कुमार सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनसे पूछताछ जारी है। संभव है कि इस जांच में और भी राज खुलें, जैसे कि क्या वे पहले भी ऐसे काम कर चुके हैं।


ऐसे मामलों में सजा क्या होती है? Prevention of Corruption Act के तहत रिश्वत लेने पर जेल और जुर्माना दोनों हो सकते हैं। कई बार नौकरी से बर्खास्तगी भी होती है। यह केस अमरोहा और मुरादाबाद के लिए एक मिसाल बनेगा। सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत ऐसी कार्रवाइयां बढ़ रही हैं। आम लोगों को भी सलाह दी जाती है कि यदि कहीं रिश्वत मांगी जाए, तो तुरंत शिकायत करें। हेल्पलाइन नंबर या ऑनलाइन पोर्टल उपलब्ध हैं।


भ्रष्टाचार पर लगाम: क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

भ्रष्टाचार निवारण इकाइयों की ऐसी कार्रवाइयां समाज में सकारात्मक बदलाव लाती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण बैंकिंग में पारदर्शिता बढ़ाने की आवश्यकता है। डिजिटल भुगतान और ऑनलाइन लोन स्वीकृति जैसे कदम मदद कर सकते हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है जागरूकता। केदारनाथ जैसे लोग यदि चुप रहते, तो आरोपी बच जाता। यह खबर हमें सिखाती है कि आवाज उठाना कितना आवश्यक है। मुरादाबाद की टीम को बधाई कि उन्होंने इतनी तेजी से कार्रवाई की।