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मुंबई में न्यायाधीश के खिलाफ रिश्वतखोरी का मामला: लिपिक गिरफ्तार

मुंबई में एक दीवानी अदालत के लिपिक को 15 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश भी वांछित आरोपी है। शिकायतकर्ता ने जमीन विवाद के मामले में न्यायाधीश से पक्ष में फैसला दिलाने के लिए रिश्वत की मांग की थी। एसीबी ने मामले की जांच शुरू कर दी है, और यह घटना भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज की गई है।
 

जमीन विवाद में रिश्वतखोरी का मामला

मुंबई की एक दीवानी अदालत में एक लिपिक-सह-टंकक को जमीन विवाद के मामले में पक्षकार के लिए निर्णय दिलाने के लिए 15 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह जानकारी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने बुधवार को साझा की।


इस मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश को वांछित आरोपी के रूप में नामित किया गया है।


एक अधिकारी ने बताया कि यह संभवतः हाल के वर्षों में पहली बार है जब किसी अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। एसीबी ने लिपिक चंद्रकांत वासुदेव को मंगलवार को गिरफ्तार किया।


न्यायाधीश का नाम भी शामिल

मझगांव की दीवानी अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एजाजुद्दीन सालाउद्दीन काजी को भी इस मामले में वांछित आरोपी बनाया गया है। एसीबी के अनुसार, शिकायतकर्ता से शुरू में 25 लाख रुपये की मांग की गई थी।


शिकायतकर्ता की पत्नी ने कंपनी की जमीन पर अवैध कब्जे के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसके बाद राशि 15 लाख रुपये पर तय हुई। घूस की कुल राशि में से 10 लाख रुपये वासुदेव का हिस्सा था और 15 लाख रुपये न्यायाधीश काजी के लिए निर्धारित किए गए थे।


घटना का विवरण

उच्च न्यायालय ने 2016 में विवादित जमीन पर तीसरे पक्ष के अधिकार पर रोक लगा दी थी। जमीन का मूल्य 10 करोड़ रुपये से कम होने के कारण मामला मझगांव की दीवानी सत्र अदालत में भेजा गया। एसीबी ने बताया कि 9 सितंबर, 2025 को शिकायतकर्ता के एक सहयोगी को वासुदेव ने फोन किया।


इसके बाद वासुदेव ने शिकायतकर्ता से चेम्बूर के एक कैफे में मिलकर 25 लाख रुपये की मांग की। शिकायतकर्ता ने इतनी बड़ी राशि देने से मना कर दिया, लेकिन वासुदेव ने बार-बार कॉल कर रिश्वत की मांग की, जिसके बाद शिकायतकर्ता ने 10 नवंबर को एसीबी में शिकायत दर्ज कराई।


रिश्वत का लेन-देन

एसीबी के निर्देश पर शिकायतकर्ता ने अदालत परिसर में वासुदेव को 15 लाख रुपये देने पर सहमति जताई। इसके बाद वासुदेव ने न्यायाधीश काजी को भुगतान की जानकारी दी, जिसे न्यायाधीश ने कथित रूप से स्वीकार किया। वासुदेव को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया।


वासुदेव और न्यायाधीश काजी दोनों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। वासुदेव को पांच दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया है, जबकि न्यायाधीश काजी अब भी वांछित आरोपी हैं। अधिकारी ने कहा कि मामले की जांच जारी है।