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मिजोरम की पहली रेलवे लाइन का उद्घाटन, ऐज़ावल को राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिजोरम की पहली रेलवे लाइन का उद्घाटन किया, जो ऐज़ावल को भारत के राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ती है। यह परियोजना 8,070 करोड़ रुपये की लागत से बनी है और इसमें 45 सुरंगें और 55 पुल शामिल हैं। ऐज़ावल अब उत्तर पूर्व का चौथा राजधानी है, जिसे सीधे रेल कनेक्टिविटी मिली है। जानें इस ऐतिहासिक विकास के बारे में और इसके महत्व के बारे में।
 

मिजोरम की ऐतिहासिक रेलवे परियोजना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार, 13 सितंबर को मिजोरम की पहली रेलवे लाइन, बैराबी-सैरंग चौड़ी गेज परियोजना का उद्घाटन किया। यह राज्य के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, जो राज्य में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा।


इस परियोजना की लागत 8,070 करोड़ रुपये है और इसकी लंबाई 51.38 किलोमीटर है। यह परियोजना 2008-09 में स्वीकृत हुई थी और इसका निर्माण 2015 में शुरू हुआ था, जो अब पूरी तरह से तैयार है। इस रेल मार्ग में 45 सुरंगें, 55 प्रमुख पुल, 87 छोटे पुल और 10 सड़क ओवर और अंडरपास शामिल हैं। कुल ट्रैक का लगभग 54% हिस्सा पुलों या सुरंगों से बना है।


इस परियोजना की सबसे आकर्षक संरचना पुल संख्या 144 है, जो सैरंग के पास स्थित है। इसकी ऊँचाई 114 मीटर है, जो दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊँची है। उत्तर पूर्वी सीमांत रेलवे के अनुसार, यह भारत का सबसे ऊँचा पियर रेलवे पुल है।


इस मार्ग के साथ चार नए रेलवे स्टेशनों की स्थापना की गई है, जो मार्ग के साथ समुदायों को जोड़ते हैं — होर्तोकी, कौंपुई, मुअलखांग और सैरंग।


ऐज़ावल के लिए नया रेल सेवा क्यों महत्वपूर्ण है?

यह नया रेल मार्ग बैराबी से शुरू होकर सैरंग तक जाता है, जो मिजोरम की राजधानी ऐज़ावल से केवल 20 किलोमीटर दूर है। इसका मतलब है कि पहली बार, ऐज़ावल को भारत के राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क से सीधे जोड़ा गया है।


इस ऐतिहासिक विकास के साथ, ऐज़ावल उत्तर पूर्व का चौथा राजधानी बन गया है, जिसे गुवाहाटी, अगरतला और ईटानगर के बाद सीधे रेल कनेक्टिविटी मिली है।