मार्गशीर्ष दुर्गा अष्टमी 2025: जानें तिथि, पूजा विधि और महत्व
मार्गशीर्ष दुर्गा अष्टमी 2025 का पर्व 28 नवंबर को मनाया जाएगा। इस दिन मां दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है, जो भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करती है। जानें इस दिन की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इस पर्व का महत्व।
Nov 19, 2025, 09:52 IST
मार्गशीर्ष दुर्गा अष्टमी 2025
दुर्गा अष्टमी 2025
मार्गशीर्ष दुर्गा अष्टमी की तिथि: हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को माता दुर्गा की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन श्रद्धा से मां दुर्गा का पूजन किया जाता है और दुर्गा अष्टमी का व्रत रखा जाता है, जिसे मासिक दुर्गा अष्टमी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन व्रत करने वाले भक्तों पर माता की विशेष कृपा होती है। इस दिन पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और सभी दुख-दर्द दूर होते हैं। आइए जानते हैं कि मार्गशीर्ष माह की दुर्गा अष्टमी कब मनाई जाएगी, साथ ही शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व।
मार्गशीर्ष दुर्गा अष्टमी कब है (Margashirsha Durga Ashtami 2025 कब है)
वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 28 नवंबर को रात 12:29 बजे शुरू होगी और 29 नवंबर को रात 12:15 बजे समाप्त होगी। इस दिन मां दुर्गा की पूजा रात के समय की जाती है, इसलिए 28 नवंबर को दुर्गा अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा।
दुर्गा अष्टमी पूजा विधि
मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। फिर घर के मंदिर को साफ करें। इसके बाद गंगाजल, चावल और फूल लेकर मां दुर्गा का ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें। एक साफ चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र रखें। यदि संभव हो तो एक कलश भी रखें। मां को लाल चुनरी, रोली, कुमकुम, अक्षत, लाल फूल, माला, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाएं।
मां को सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें। शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं और मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें। दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। पूजा के अंत में मां दुर्गा की आरती करें। इस दिन 2 से 10 वर्ष की छोटी कन्याओं को भोजन कराना भी शुभ माना जाता है।
दुर्गा अष्टमी का महत्व
मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत रखने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। मां दुर्गा शत्रुओं का नाश करती हैं और भक्तों को भय से मुक्ति देती हैं। इस व्रत से आध्यात्मिक उन्नति और शांति प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख-शांति और धन-समृद्धि बढ़ती है।
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