मानसिक स्वास्थ्य का प्रभाव: दवाओं की प्रभावशीलता पर पड़ता है असर
मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति
खराब मानसिक स्वास्थ्यImage Credit source: Getty Images
दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर आठवां व्यक्ति किसी न किसी मानसिक स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहा है। भारत में, लगभग 15 करोड़ लोग मानसिक तनाव, डिप्रेशन या चिंता जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। विशेष रूप से, 18 से 35 वर्ष के युवा और महिलाएं अधिक प्रभावित हो रही हैं। शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोग तेज जीवनशैली, कार्य के दबाव और सामाजिक अपेक्षाओं के कारण अधिक प्रभावित होते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी है। ये समस्याएं न केवल जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं, बल्कि शरीर की इम्यूनिटी पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
मानसिक स्वास्थ्य के कारण
मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट के कई कारण होते हैं। आधुनिक जीवनशैली में बढ़ता कार्यभार, नींद की कमी, सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताना, पारिवारिक तनाव, असफलता का डर और अकेलापन इसके प्रमुख कारण हैं। लंबे समय तक तनाव रहने से शरीर में हार्मोनल असंतुलन उत्पन्न होता है, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करता है। कभी-कभी, बचपन के ट्रॉमा, घरेलू हिंसा या आर्थिक असुरक्षा भी मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं। कोविड-19 महामारी के बाद से चिंता और डिप्रेशन के मामलों में वृद्धि हुई है। ये सभी कारक धीरे-धीरे मानसिक शांति को छीन लेते हैं और व्यक्ति को शारीरिक बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बना देते हैं।
दवाओं की प्रभावशीलता पर मानसिक स्वास्थ्य का असर
गाजियाबाद जिला अस्पताल के मनोरोग विभाग के डॉ. एके विश्वकर्मा के अनुसार, जब मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं होता, तो शरीर में तनाव के हार्मोन जैसे कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ा रहता है। यह हार्मोन कई मेटाबॉलिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करता है। डायबिटीज के मरीजों में तनाव ब्लड शुगर को नियंत्रित करना कठिन बना देता है, जिससे दवाएं उतनी प्रभावी नहीं हो पातीं। इसी तरह, उच्च रक्तचाप के मरीजों में तनाव बीपी को लगातार उच्च बनाए रखता है, जिससे दवाओं का प्रभाव कम हो जाता है।
तनाव का व्यापक प्रभाव
मानसिक तनाव का प्रभाव केवल डायबिटीज या उच्च रक्तचाप तक सीमित नहीं है; यह थायरॉयड, हार्मोनल असंतुलन, पाचन संबंधी समस्याएं, माइग्रेन, अस्थमा और हृदय रोग जैसी अन्य बीमारियों की दवाओं की प्रभावशीलता को भी कम कर सकता है। तनाव और चिंता से शरीर की इम्यूनिटी कमजोर होती है, जिससे रिकवरी की गति धीमी हो जाती है। इसके अलावा, मानसिक तनाव नींद के पैटर्न को बिगाड़ देता है, जिससे शरीर को दवा को सही तरीके से अवशोषित करने का समय और ऊर्जा नहीं मिलती। कई लोग तनाव के कारण दवाएं समय पर लेना भी छोड़ देते हैं, जिससे उपचार अधूरा रह जाता है। कुल मिलाकर, खराब मानसिक स्थिति शरीर की हीलिंग क्षमता को कम कर देती है और अधिकांश बीमारियों की दवाओं का प्रभाव घटा देती है।
मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल कैसे करें
पर्याप्त नींद लें और सोने-जागने का समय निश्चित करें।
स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए मेडिटेशन, योग या वॉक को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
मानसिक परेशानी महसूस होने पर समय पर डॉक्टर या काउंसलर से सलाह लें।
अपनी दवाएं समय पर लें और बिना परामर्श के उन्हें बंद न करें।
सोशल मीडिया और स्क्रीन टाइम को सीमित करें, परिवार और दोस्तों से जुड़ाव बनाए रखें।
समय-समय पर स्वास्थ्य जांच कराते रहें ताकि किसी बदलाव को समय पर पहचाना जा सके।