माँ की अनमोल कुर्बानी: बच्चे की जान बचाने के लिए किया अद्भुत कार्य
माँ का प्यार और संघर्ष
माँ के लिए उसका बच्चा सबसे कीमती होता है। एक माँ अपने बच्चे की मुस्कान के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। मेरठ की शालू ने अपने पांच महीने के बच्चे को 11 महीने तक वेंटिलेटर पर रखा, जब उसकी जिंदगी संकट में थी। मदर्स डे के अवसर पर, आइए जानते हैं शालू की कहानी।
शालू बताती हैं कि जब उनके बच्चे का जन्म हुआ, तो उसका वजन लगभग 4.5 किलो था। जन्म के समय बच्चे का सिर बड़ा था, जिससे डिलीवरी में कठिनाई हुई। प्रसव के दौरान बच्चे को खींचकर बाहर निकाला गया, जिससे उसकी गर्दन की हड्डी टूट गई।
बच्चे के जन्म के बाद, शालू ने देखा कि उसका बच्चा हाथ नहीं हिला पा रहा था। डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की दाईं हाथ की नसें उखड़ गई हैं। इसके बाद, शालू ने बच्चे को एम्स, दिल्ली में दिखाया, जहाँ पता चला कि उसकी गर्दन की हड्डी टूटने के साथ-साथ सर्वाइकल स्पाइन भी डिस्लोकेटेड है।
डॉक्टरों ने बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे सर्जरी की सलाह दी। जून 2022 में, बच्चे की गर्दन की मेटल फ्री सर्जरी की गई, जो बेहद जटिल थी। इस सर्जरी के बाद, बच्चा 11 महीने तक वेंटिलेटर सपोर्ट पर रहा।
शालू ने अपने बच्चे की जान बचाने के लिए अपनी हड्डी दान करने का निर्णय लिया। डॉक्टरों ने उनकी हड्डी का उपयोग करके बच्चे की रीढ़ को ठीक किया।
10 मई 2023 को, बच्चे को अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। शालू का कहना है कि बच्चे को पूरी तरह से ठीक होने में समय लगेगा, और तब तक वह चैन की नींद नहीं ले पाएंगी।
डॉक्टर दीपक गुप्ता ने बताया कि बच्चे की स्थिति गंभीर थी, और सर्जरी के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। अंततः, बच्चे की सर्जरी सफल रही और वह धीरे-धीरे ठीक हो रहा है।