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महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका, बिहार में वोटर लिस्ट की जांच पर उठाए सवाल

पश्चिम बंगाल की सांसद महुआ मोइत्रा ने बिहार में वोटर लिस्ट की विशेष जांच के चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि यह आदेश संविधान का उल्लंघन करता है और इससे कई योग्य मतदाता वोट नहीं डाल पाएंगे। याचिका में उठाए गए मुद्दों में वोट देने का अधिकार छिनना, आधार और राशन कार्ड को मान्यता न देना, और गरीबों पर पड़ने वाले प्रभाव शामिल हैं। इसके अलावा, महुआ मोइत्रा ने अन्य राज्यों में भी ऐसे आदेशों को रोकने की मांग की है।
 

महुआ मोइत्रा की याचिका

पश्चिम बंगाल की सांसद महुआ मोइत्रा ने बिहार में मतदाता सूची की विशेष जांच के लिए चुनाव आयोग के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि यह आदेश अनुचित है और इससे कई लोगों का वोट देने का अधिकार प्रभावित हो सकता है।


चुनाव आयोग का आदेश क्या है?

चुनाव आयोग ने 24 जून, 2025 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें बिहार में वोटर लिस्ट की गहन जांच का निर्देश दिया गया था। इसका अर्थ है कि जिन लोगों के नाम पहले से वोटर लिस्ट में हैं, उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने के लिए नए दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। इनमें माता-पिता की नागरिकता का प्रमाण भी शामिल है। यदि वे ऐसा नहीं कर पाते, तो उनका नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाएगा।


महुआ मोइत्रा की चिंताएं

महुआ मोइत्रा की याचिका में कहा गया है कि यह आदेश भारत के संविधान के कई अनुच्छेदों का उल्लंघन करता है। उनकी मुख्य चिंताएं निम्नलिखित हैं:


वोट देने का अधिकार छिनना: याचिका में कहा गया है कि इस आदेश से बड़ी संख्या में योग्य मतदाता वोट नहीं डाल पाएंगे, जिससे लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनाव पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।


अजीबोगरीब शर्त: यह पहली बार है जब चुनाव आयोग ने उन मतदाताओं से भी अपनी पात्रता साबित करने को कहा है, जिनके नाम पहले से लिस्ट में हैं।


आधार और राशन कार्ड को न मानना: इस आदेश में आधार कार्ड और राशन कार्ड जैसे सामान्य पहचान पत्रों को मान्यता नहीं दी गई है, जिससे मतदाताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।


गरीबों पर असर: यह आदेश विशेष रूप से गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को अधिक प्रभावित करेगा, जिसकी तुलना नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) से की गई है।


जल्दबाजी: आदेश में कहा गया है कि 25 जुलाई, 2025 तक नए फॉर्म जमा नहीं किए गए, तो नाम ड्राफ्ट लिस्ट से हटा दिए जाएंगे। याचिका में इस समय सीमा को भी अनुचित बताया गया है।


दूसरे राज्यों पर भी पड़ेगा असर?

याचिका में यह भी मांग की गई है कि चुनाव आयोग को अन्य राज्यों में भी ऐसे आदेश जारी करने से रोका जाए। महुआ मोइत्रा को जानकारी मिली है कि अगस्त 2025 से पश्चिम बंगाल में भी इसी तरह की जांच शुरू करने की योजना है। यह याचिका वकील नेहा राठी द्वारा दायर की गई है।