महिलाओं के लिए आवश्यक स्वास्थ्य परीक्षण: जानें कौन से टेस्ट हैं जरूरी
महिलाओं की स्वास्थ्य स्थिति पर ध्यान देने की आवश्यकता
स्वास्थ्य ही जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति है। जब तक हम स्वस्थ नहीं हैं, तब तक हमारी उपलब्धियां और पहचान का कोई महत्व नहीं है। आजकल, हम अपने काम में इतने व्यस्त हो गए हैं कि अपनी सेहत की अनदेखी कर रहे हैं, जिसका प्रभाव उम्र बढ़ने पर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
बिगड़ती जीवनशैली और खराब खानपान के कारण, महिलाएं अब कम उम्र में ही गंभीर बीमारियों का सामना कर रही हैं। स्वास्थ्य संबंधी आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं की सेहत में गिरावट आ रही है, और वे अपनी सेहत को नजरअंदाज कर रही हैं। इसका परिणाम ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के बढ़ते मामलों के रूप में सामने आ रहा है।
महिलाओं को पीरियड शुरू होने के बाद से कुछ महत्वपूर्ण परीक्षण साल में एक बार कराना चाहिए। विशेष रूप से 20 से 30 वर्ष की आयु की महिलाओं के लिए यह आवश्यक है। विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ परीक्षण ऐसे हैं जो साल में एक बार कराना जरूरी है, क्योंकि कई बीमारियों के लक्षण नहीं होते हैं।
ब्रेस्ट परीक्षण की आवश्यकता
भारत में ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के मामलों में वृद्धि हो रही है। इस बीमारी से बचने के लिए महिलाओं को सचेत रहना चाहिए। 20 से 30 वर्ष की आयु में महिलाओं को ब्रेस्ट की जांच करानी चाहिए। ब्रेस्ट की क्लीनिकल जांच और सेल्फ जांच दोनों महत्वपूर्ण हैं। यदि किसी महिला को अपने ब्रेस्ट में गांठ, दर्द या रिसाव महसूस होता है, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
ब्रेस्ट कैंसर के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान के लिए नियमित चिकित्सा जांच और स्क्रीनिंग आवश्यक है। स्तन कैंसर के लिए दो प्रमुख स्क्रीनिंग परीक्षण हैं:
- क्लिनिकल ब्रेस्ट एग्जामिनेशन
- ब्रेस्ट का सेल्फ एग्जामिनेशन
पैप स्मीयर टेस्ट
सर्वाइकल कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए, महिलाओं को इस बीमारी के प्रति जागरूक रहना चाहिए। पैप स्मीयर टेस्ट से सर्वाइकल कैंसर का समय पर पता लगाया जा सकता है। यह परीक्षण गर्भाशय ग्रीवा से कोशिकाओं का संग्रह करता है। 21 से 65 वर्ष की आयु की महिलाओं को हर 3 साल में पैप स्मीयर टेस्ट कराना चाहिए।
थायराइड कार्यप्रणाली परीक्षण
महिलाएं अक्सर थायराइड की समस्याओं का सामना करती हैं। कुछ महिलाओं को गर्भधारण से पहले ही थायराइड रोग हो सकता है, जो मां और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए, थायराइड की नियमित निगरानी आवश्यक है। थायराइड के कारण महिलाओं को थकान, सूखी त्वचा, वजन बढ़ना और अनियमित पीरियड्स जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
विटामिन डी और बी12 परीक्षण
हालिया शोध से पता चला है कि महिलाओं में विटामिन डी और बी12 का स्तर गिर रहा है, जिससे उनकी हड्डियों और समग्र स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए, महिलाओं को साल में एक बार इन विटामिन्स का परीक्षण कराना चाहिए।
ब्लड प्रेशर और शुगर परीक्षण
उम्र बढ़ने के साथ, महिलाओं को ब्लड प्रेशर और शुगर का परीक्षण कराना चाहिए। खराब खानपान और जीवनशैली के कारण ये बीमारियां अब कम उम्र में ही लोगों को प्रभावित कर रही हैं। इसलिए, साल में एक बार इन परीक्षणों को कराना आवश्यक है।