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महिलाओं की तस्करी के मामले में आरोपी को अदालत ने बरी किया

ठाणे की एक अदालत ने 2015 में महिलाओं की तस्करी के मामले में एक 57 वर्षीय महिला को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष सबूत पेश करने में असफल रहा। इस मामले में आरोपी के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले, जिससे अदालत ने उसे निर्दोष करार दिया। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और अदालत के निर्णय के पीछे की वजहें।
 

महिलाओं की तस्करी का मामला

ठाणे, महाराष्ट्र में एक अदालत ने 2015 में महिलाओं की तस्करी और वेश्यावृत्ति में धकेलने के आरोप में एक 57 वर्षीय महिला को सबूतों की कमी के कारण बरी कर दिया।


अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एएस भागवत ने 21 जून को दिए गए आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी मधु अर्जुन यादव के खिलाफ आरोपों को साबित करने में असफल रहा। इस आदेश की एक प्रति शनिवार को प्राप्त हुई।


अभियोजन ने अदालत को बताया कि ठाणे पुलिस की मानव तस्करी रोधी शाखा ने 10 फरवरी, 2015 को सावरकर नगर स्थित एक अपार्टमेंट पर छापा मारा, जहां एक नकली ग्राहक भेजकर आरोपी को गिरफ्तार किया गया।


पुलिस ने वहां से तीन महिलाओं को भी मुक्त कराया, जिन्हें कथित रूप से देह व्यापार में धकेला गया था। आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 370 (मानव तस्करी) और अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था।


अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन ने न तो नकली ग्राहक को पेश किया और न ही उन महिलाओं को, जिन्हें कथित रूप से मुक्त कराया गया था। अदालत को बताया गया कि पीड़ित महिलाएं नहीं मिल पाईं और नकली ग्राहक कई बार समन भेजे जाने के बावजूद उपस्थित नहीं हुआ। अदालत ने कहा कि आरोपी के खिलाफ मामला पिछले 10 वर्षों से लंबित है और इन परिस्थितियों में उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है।