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महिलाओं की अनुपस्थिति: एक दिन की छुट्टी का प्रभाव

क्या होगा अगर सभी महिलाएं एक दिन की छुट्टी पर चली जाएं? इस लेख में हम महिलाओं की स्थिति, उनके योगदान और समाज पर उनके बिना होने वाले प्रभाव का विश्लेषण करते हैं। आंकड़ों के माध्यम से समझते हैं कि महिलाओं की अनुपस्थिति से समाज में क्या बदलाव आएंगे। जानिए इस महत्वपूर्ण विषय पर और अधिक जानकारी।
 

महिलाओं की अनुपस्थिति का विचार

What if all the women went on holiday for a day? Learn


नई दिल्ली: कल्पना कीजिए, आप सुबह उठते हैं और देखते हैं कि आपके चारों ओर कोई महिला नहीं है - न आपकी मां, न बहन, न पत्नी और न ही बेटी। आप सोचते हैं कि वे कहीं गई होंगी, लेकिन जब आप ऑफिस पहुंचते हैं, तो वहां भी कोई महिला कर्मचारी नहीं है। थोड़ी देर बाद, एक पुरुष एंकर टीवी पर यह समाचार पढ़ता है कि सभी महिलाएं अचानक छुट्टी पर चली गई हैं।


कुछ साल पहले अमेरिका में एक ऐसा ही अभियान चला था, जिसमें सभी महिलाओं ने एक दिन की छुट्टी लेने का निर्णय लिया था। उन्होंने 8 मार्च 2017 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर यह किया था, ताकि दुनिया महिलाओं के योगदान को समझ सके।


महिलाओं की स्थिति पर आंकड़े

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। अगर आज सभी महिलाएं छुट्टी पर चली जाएं, तो क्या होगा? यह जानने के लिए हमने कुछ आंकड़ों का सहारा लिया है।


– जनसंख्या: मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 तक भारत की जनसंख्या लगभग 136 करोड़ है, जिसमें 48.6% महिलाएं हैं। महिलाओं की जनसंख्या वृद्धि दर पुरुषों से अधिक है।


– शिक्षा: 1951 में पुरुषों की साक्षरता दर 27.2% थी, जो 2017 में 84.7% हो गई। वहीं, महिलाओं की साक्षरता दर 8.9% से बढ़कर 70.3% हो गई।


– रोजगार: विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में भारत में महिलाओं की श्रम शक्ति में हिस्सेदारी 21% से कम थी।


– राजनीति: लोकसभा में केवल 15% और राज्यसभा में 14% महिला सांसद हैं।


– न्यायपालिका: सुप्रीम कोर्ट में 33 जजों में केवल 4 महिलाएं हैं।


– सेना: थल सेना में महिलाओं की संख्या 0.1% है।


– पुलिस: 2022 तक महिला पुलिसकर्मियों की संख्या 11.75% थी।


महिलाओं का योगदान

हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में बताया गया कि महिलाएं हर दिन 7.2 घंटे बिना वेतन के काम करती हैं।


अगर उन्हें इस काम के लिए वेतन दिया जाए, तो यह राशि सालाना 22.7 लाख करोड़ रुपये होगी, जो भारत की जीडीपी का 7.5% है।


इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, 64 देशों की महिलाएं हर दिन 1,640 घंटे बिना वेतन के काम करती हैं।