×

महिला सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए UGC का नया निर्देश

महिला सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने पॉश अधिनियम 2013 के सख्त पालन के लिए नए निर्देश जारी किए हैं। सभी शैक्षणिक संस्थानों को आंतरिक शिकायत समितियों का गठन करने, जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने और शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। UGC का उद्देश्य एक सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल तैयार करना है, जिससे छात्रों और कर्मचारियों का विश्वास बढ़ सके। जानें इस दिशा में उठाए गए कदमों के बारे में।
 

महिला सुरक्षा के लिए UGC का नया कदम

महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने पॉश अधिनियम 2013 के अनुपालन को लेकर एक नया निर्देश जारी किया है। सभी शैक्षणिक संस्थानों को यह याद दिलाया गया है कि कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम और निवारण उनकी कानूनी जिम्मेदारी है। इसके अंतर्गत संस्थानों को आंतरिक शिकायत समिति का गठन करना, जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना, स्पष्ट नीतियों को लागू करना और शिकायतों पर समय पर कार्रवाई करना अनिवार्य है। UGC का उद्देश्य कैंपस में एक सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल बनाना है, जिससे छात्रों और कर्मचारियों का विश्वास बढ़ सके।


पॉश अधिनियम के पालन में सख्ती

UGC ने सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे पॉश अधिनियम 2013 के नियमों का सख्ती से पालन करें। आयोग ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार की लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा। संस्थानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि आंतरिक समिति (IC) सही तरीके से गठित हो और उसमें प्रशिक्षित सदस्य शामिल हों। यह समिति कैंपस में होने वाली किसी भी शिकायत की सुनवाई करेगी और तय समय के भीतर कार्रवाई सुनिश्चित करेगी।


जागरूकता और नीतियों का महत्व

UGC ने यह भी कहा है कि सभी संस्थानों को छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षण और जागरूकता सत्र आयोजित करने चाहिए। इससे उन्हें अपने अधिकारों, शिकायत प्रक्रिया और रोकथाम से जुड़ी जानकारी प्राप्त होगी। इसके अलावा, संस्थानों को अपनी पॉश नीति को वेबसाइट, नोटिस बोर्ड और हैंडबुक के माध्यम से व्यापक रूप से साझा करना होगा, ताकि सभी को सही जानकारी मिल सके।


शिकायतों पर पारदर्शी कार्रवाई

आयोग ने जोर दिया है कि पॉश अधिनियम के तहत आने वाली सभी शिकायतों पर पारदर्शिता के साथ त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए। संस्थानों को एक ऐसा तंत्र विकसित करना होगा जहां पीड़ित सुरक्षित महसूस करते हुए अपनी बात रख सकें। UGC का मानना है कि सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण तैयार करना केवल कानूनी दायित्व नहीं, बल्कि संस्थानों की नैतिक जिम्मेदारी भी है।


ये भी पढ़ें

NEET UG: तिरुपति तिरुमला देवस्थानम के मेडिकल कॉलेज SVISM में MBBS की कितनी सीटें? जानें कैसे होता है दाखिला