महिला कर्मचारियों को करवा चौथ पर पारंपरिक परिधान पहनने की अनुमति
सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसमें महिला कर्मचारियों को करवा चौथ 2025 के अवसर पर मानक वर्दी के बजाय पारंपरिक और साधारण कपड़े पहनने की अनुमति दी गई है। इस अधिसूचना में बताया गया है कि सक्षम प्राधिकारी ने रजिस्ट्री की महिला कर्मचारियों द्वारा किए गए अनुरोध को स्वीकार करते हुए उन्हें 10 अक्टूबर, 2025 को निर्धारित वर्दी के स्थान पर पारंपरिक कपड़ों में कार्यालय आने की अनुमति दी है। यह निर्णय न्यायालय रजिस्ट्री की महिला कर्मचारियों के औपचारिक अनुरोध के बाद लिया गया, जिसमें कार्यस्थल की मर्यादा बनाए रखते हुए उत्सव मनाने की अनुमति मांगी गई थी।
करवा चौथ का महत्व
भारत में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाए जाने वाले करवा चौथ का दिन अपने पति की भलाई और दीर्घायु के लिए उपवास और प्रार्थना का प्रतीक है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कर्मचारियों की पोशाक "पारंपरिक और शालीन" होनी चाहिए, ताकि न्यायालय परिसर में अपेक्षित शिष्टाचार बना रहे। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था, जिसमें विधवाओं, तलाकशुदा और लिव-इन संबंधों में रहने वाली महिलाओं के लिए करवा चौथ अनिवार्य करने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज किया गया था।
याचिका का खारिज होना
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता नरेंद्र कुमार मल्होत्रा की याचिका को खारिज करते हुए जनहित याचिका को "तुच्छ" और "प्रेरित" करार दिया। न्यायमूर्ति कांत ने सुनवाई के दौरान कहा, "इनका वित्तपोषण ऐसे अभिनेताओं द्वारा किया जाता है जो आगे नहीं आते हैं।"