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महाराष्ट्र में निकाय चुनावों पर महायुति में बढ़ा तनाव, शिंदे और तटकरे आमने-सामने

महाराष्ट्र में नगर निकाय चुनावों के संदर्भ में महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ता जा रहा है। शिंदे गुट के नेता भरत गोगावले और एनसीपी के सुनील तटकरे के बीच सीट बंटवारे को लेकर तीखी बहस हो रही है। गोगावले ने तटकरे के मजाक का जवाब देते हुए अपनी स्थिति स्पष्ट की है। जानें इस राजनीतिक घमासान के पीछे की कहानी और इसके संभावित परिणाम।
 

राजनीतिक माहौल में गर्मी

एकनाथ शिंदे और अजित पवार

महाराष्ट्र में नगर निकाय चुनावों के चलते राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही है, जिसमें कुछ सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। हालांकि, कुछ स्थानों पर दोनों दलों के बीच टकराव भी देखने को मिल रहा है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, महायुति में यह टकराव काफी गंभीर होता दिख रहा है। रायगढ़ में जिला परिषद चुनावों के संदर्भ में शिंदे गुट के नेता भरत गोगावले और एनसीपी के नेता सुनील तटकरे आमने-सामने आ गए हैं। गोगावले द्वारा प्रस्तावित सीट बंटवारे के फार्मूले से तटकरे नाराज हैं।


क्या हुआ वास्तव में?

स्थानीय निकाय चुनावों के लिए रायगढ़ जिले में जिला परिषद की 59 सीटों के लिए महायुति का एक फॉर्मूला तैयार किया गया है। शिवसेना शिंदे समूह के मंत्री भरत गोगावले ने इस फॉर्मूले को प्रस्तुत किया था। हालांकि, एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने खालापुर में एक कार्यक्रम के दौरान इस फॉर्मूले का मजाक उड़ाया।

इस पर गोगावले ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमें किसी की परवाह नहीं है। अब हम अपने कार्यों में जुट गए हैं और हमारी जीत की शुरुआत रवि मुंढे के पार्टी में शामिल होने से हो चुकी है।


गोगावले की नाराजगी

गोगावले ने कहा कि हमने सुनील तटकरे को चुना था, लेकिन उन्हें अपनी स्थिति का एहसास नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि जो गलत करेगा, उसे अपने कर्मों का फल भुगतना पड़ेगा।


धार्मिक भावनाओं का सम्मान

30 अक्टूबर को विधायक महेंद्र दलवी के नेतृत्व में कई कार्यकर्ता रायगढ़ के रोहा में शिंदे की शिवसेना में शामिल हुए। इस दौरान गोगावले ने तटकरे पर हमला करते हुए कहा कि हमें ईश्वर और अल्लाह के प्रति अहंकार नहीं करना चाहिए। हम नागरिकों की समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।