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महाराष्ट्र के मंत्री माणिकराव कोकाटे की मुश्किलें बढ़ीं, अरेस्ट वारंट जारी

महाराष्ट्र के खेल मंत्री माणिकराव कोकाटे की मुश्किलें बढ़ गई हैं, जब नासिक की अदालत ने उन्हें 30 साल पुराने आवास घोटाले में दो साल की सजा सुनाई। यदि उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिली, तो उनके इस्तीफे की संभावना है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और सहयोगी दल कोकाटे के इस्तीफे पर अड़े हुए हैं। इस मामले ने न केवल कोकाटे के लिए बल्कि राज्य की राजनीति के लिए भी हलचल पैदा कर दी है। क्या कोकाटे को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ेगा? जानें पूरी कहानी में।
 

माणिकराव कोकाटे की बढ़ती समस्याएँ

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री माणिकराव कोकाटे.


महाराष्ट्र के खेल मंत्री और एनसीपी के अजित पवार गुट के नेता माणिकराव कोकाटे के लिए हालात गंभीर हो गए हैं। नासिक की अदालत ने उन्हें 30 साल पुराने आवास घोटाले में दो साल की सजा सुनाई है। यदि उन्हें उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिलती, तो उनके इस्तीफे की संभावना बढ़ गई है। सूत्रों के अनुसार, कोकाटे के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी होने के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस असंतुष्ट हैं। इसके अलावा, महायुति के सहयोगी दल (बीजेपी और शिंदे गुट) कोकाटे के इस्तीफे पर अड़े हुए हैं.


मामले का विवरण


1995 में, माणिकराव कोकाटे और उनके भाई विजय कोकाटे पर आरोप लगा था कि उन्होंने नासिक के कनाडा कॉर्नर क्षेत्र में मुख्यमंत्री कोटा के तहत फ्लैट लेने के लिए फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया। उन पर प्रशासन को गुमराह करने और चार फ्लैटों को ध्वस्त करने का आरोप है। पूर्व मंत्री तुकाराम दिघोले ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद 1997 में उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ था.


अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने कोकाटे को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई और उन पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। कोकाटे ने निचली अदालत के निर्णय को सत्र न्यायालय में चुनौती दी, लेकिन न्यायाधीश पी. एम. बदर ने उनकी याचिका खारिज कर दी और पहले के फैसले को बरकरार रखा.


अदालत की फटकार


आज की सुनवाई में, कोकाटे के वकीलों ने अस्पताल में भर्ती होने का हवाला देते हुए राहत की मांग की, लेकिन अदालत ने उन्हें फटकार लगाते हुए कहा कि कानून से कोई भी ऊपर नहीं है। गिरफ्तारी वारंट जारी होने से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सभी की नजरें इस बात पर हैं कि क्या कोकाटे को इस्तीफा देना पड़ेगा.


यह निर्णय न केवल कोकाटे के लिए बल्कि राज्य की राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण है। अजित पवार गुट के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन गई है। अदालत के आदेश के बाद चर्चा है कि क्या माणिकराव कोकाटे को मंत्री पद से इस्तीफा देना होगा या उन्हें कानूनी राहत मिलेगी.