महारानी सीजन 4: बिहार की राजनीति में नया मोड़ और केंद्र की सत्ता पर तंज
रानी भारती की राजनीतिक यात्रा
रानी भारती की पॉलिटिक्स का दायरा बढ़ा
वेब सीरीज 'महारानी' का चौथा सीजन बिहार विधानसभा चुनाव के समय में आया है, जब पूरे देश की नजरें इस चुनाव पर हैं। इस बार चुनाव में आर-पार की लड़ाई देखने को मिल रही है। चूंकि इस सीरीज का कथानक बिहार की राजनीतिक पृष्ठभूमि पर आधारित है, दर्शकों की उत्सुकता इस बात को लेकर थी कि नए सीजन में क्या नया देखने को मिलेगा। जैसे ही आप सीरीज देखना शुरू करते हैं, कहानी पटना से दिल्ली की ओर बढ़ती है, जहां प्रधानमंत्री और जांच एजेंसियों के बीच टकराव होता है। इस बार कहानी में फाइलें और कुर्सियां हैं, लेकिन मुख्य ध्यान एक महिला पर है, जो अब राज्य से बाहर की राजनीति में कदम रखने जा रही है।
कहानी में राजनीतिक संघर्ष
सरकार बचाने के लिए रची गई चाल
चौथे सीजन की कहानी में प्रधानमंत्री जोशी पर तानाशाही का आरोप लगाते हुए बंगाल पीपुल्स फ्रंट ने समर्थन वापस ले लिया है, जिससे केंद्र की सरकार की स्थिरता खतरे में पड़ गई है। चार साल बीत चुके हैं और प्रधानमंत्री को अगले एक साल में सफलतापूर्वक सत्ता में बने रहने के लिए किसी नए क्षेत्रीय दल का समर्थन चाहिए। इसी संदर्भ में रानी भारती का समर्थन आवश्यक हो गया है।
हालांकि, रानी भारती प्रधानमंत्री जोशी की तानाशाही के खिलाफ हैं। एक मुलाकात में, वह प्रधानमंत्री को स्पष्ट रूप से अपनी बात कहती हैं और केंद्र की सत्ता से हाथ मिलाने के प्रस्ताव को ठुकरा देती हैं। इसके बाद कहानी में असली टकराव शुरू होता है। रानी भारती के खिलाफ एक दशक पुराना मामला खोला जाता है और सीबीआई को उनकी गिरफ्तारी के लिए भेजा जाता है।
पार्टी और परिवार में बंटवारा
पार्टी और परिवार में बना दो खेमा
रानी भारती एक मास्टरस्ट्रोक चलाते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देती हैं और अपनी बेटी रोशनी भारती को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय लेती हैं। इस स्थिति में, उनके बेटे जय भारती भी सीएम पद के दावेदार बन जाते हैं। इस्तीफे के बाद पार्टी में दो खेमे बन जाते हैं, और रानी भारती के परिवार में भी ऐसा ही होता है। इसके बाद क्या होता है, यह जानने के लिए सोनी लिव पर इस वेब सीरीज को देखें।
अभिनय की उत्कृष्टता
कलाकारों ने कैसा किया अभिनय?
सभी कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया है। रानी भारती के किरदार में हुमा कुरैशी ने पहले सीजन के टेम्परामेंट को बनाए रखा है। उन्होंने इस किरदार के विकास को बखूबी दर्शाया है। शार्दुल भारद्वाज और श्वेता बसु प्रसाद ने भी अपने किरदारों में जान फूंक दी है। इसके अलावा, विपिन शर्मा, अमित स्याल, विनित कुमार और अन्य कलाकार भी अपने पुराने गेटअप में नजर आए हैं। इस सीरीज की सफलता का श्रेय न केवल कहानी को, बल्कि इन सभी कलाकारों के दमदार अभिनय को भी जाता है।
संवादों में राजनीतिक तंज
संवादों में प्रधानमंत्री जोशी पर तंज
चौथे सीजन में बिहार की राजनीति की बुनियाद तो है, लेकिन इसका दायरा केंद्र की सत्ता से तकरार तक फैला हुआ है। कई संवादों में प्रधानमंत्री जोशी की कार्यप्रणालियों पर सवाल उठाए गए हैं। इस सीरीज में दर्शकों को कई छोटे-छोटे संवाद सुनाई देते हैं, जो सत्ता के खिलाफ एक स्पष्ट संदेश देते हैं।