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महाकुंभ भगदड़ पर सपा नेताओं के गंभीर आरोप, सरकार पर उठे सवाल

महाकुंभ में हुई भगदड़ ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को सवालों के घेरे में ला दिया है। समाजवादी पार्टी के नेताओं ने सरकार पर मृतकों की संख्या छिपाने का आरोप लगाया है। रामगोपाल यादव और अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को लोकसभा में उठाने की बात कही है। जानें इस घटना के पीछे की सच्चाई और सरकार की जिम्मेदारी के बारे में।
 

महाकुंभ में भगदड़ से उठे सवाल


UP News: महाकुंभ में हुई भगदड़ ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। इस घटना में हुई त्रासदी ने सभी को झकझोर दिया है। प्रशासन ने घटना के 16 घंटे बाद मृतकों की संख्या का खुलासा किया है। सोशल मीडिया पर अव्यवस्था की तस्वीरें तेजी से फैल रही हैं। प्रयागराज जाने वाले सभी मार्ग बंद कर दिए गए हैं, जिससे लाखों लोग घंटों तक जाम में फंसे हुए हैं।


इस बीच, समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने योगी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार महाकुंभ में हुई भगदड़ में मृतकों की संख्या को छिपा रही है। रामगोपाल यादव ने यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी इस मुद्दे को लोकसभा में उठाएगी।


सरकार की जानकारी पर सवाल

सरकार सही संख्या नहीं बता रही- रामगोपाल यादव


महाकुंभ में हुई भगदड़ के मामले में सपा सांसद रामगोपाल यादव ने योगी सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार सही आंकड़े नहीं दे रही है। सरकार को मृतकों और घायलों के नाम और पते की जानकारी साझा करनी चाहिए। रामगोपाल यादव ने कहा कि उन्होंने राजनाथ सिंह से भी इस मामले की गंभीरता के बारे में बात की है, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। अब सपा इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करेगी।


अखिलेश यादव का बयान

घटना को लेकर राज्य और केंद्र, दोनों जिम्मेदार- अखिलेश यादव


समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी महाकुंभ में हुई भगदड़ पर योगी सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि वह पीड़ितों से मिलने नहीं जाएंगे, क्योंकि ऐसा करने पर सरकार आरोप लगाएगी कि वे राजनीति कर रहे हैं।


अखिलेश यादव ने कहा कि वे इस मामले में राजनीति नहीं करना चाहते। महाकुंभ के लिए सरकार का प्रचार अधिक था, लेकिन व्यवस्थाएं कम थीं। उन्होंने योगी सरकार से मांग की कि हादसे की पूरी जानकारी साझा की जाए। अखिलेश यादव ने स्पष्ट किया कि इस घटना की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकार दोनों की है।