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ममता बनर्जी ने जेपीसी में नामांकन से किया इनकार, विधेयकों पर उठाए सवाल

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस की ओर से जेपीसी में किसी सदस्य को नामित न करने का निर्णय लिया है। उन्होंने हाल ही में पेश किए गए विवादास्पद विधेयकों पर गंभीर सवाल उठाए हैं, जिन्हें लोकतंत्र के लिए खतरा मानते हुए निंदा की है। बनर्जी का कहना है कि ये विधेयक न्यायपालिका की स्वतंत्रता को समाप्त कर देंगे और देश में लोकतांत्रिक युग को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
 

टीएमसी का विरोध और जेपीसी में नामांकन से इनकार

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने शनिवार को स्पष्ट किया कि यदि उन्हें 30 दिनों तक हिरासत में रखा जाता है या गिरफ्तार किया जाता है, तो वे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को बर्खास्त करने से संबंधित विधेयकों की जांच के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में किसी सदस्य को नामित नहीं करेंगी। टीएमसी ने एक बयान में कहा कि हम 130वें संविधान संशोधन विधेयक के पेश होने के चरण में ही इसका विरोध कर रहे हैं और हमारे अनुसार जेपीसी केवल एक दिखावा है। इसलिए, हम एआईटीसी से किसी को भी नामित नहीं कर रहे हैं।


विधेयकों पर हंगामा और विपक्ष की प्रतिक्रिया

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन विवादास्पद विधेयक - संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 - पेश किए। इन विधेयकों के पेश होने पर सदन में भारी हंगामा हुआ, और विपक्ष ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इन विधेयकों के माध्यम से गैर-भाजपा शासित राज्यों को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है। कुछ विपक्षी सदस्यों ने विधेयकों की प्रतियां फाड़कर शाह की ओर फेंकीं, जिन्होंने बाद में कहा कि विधेयकों को जेपीसी के पास भेजा जाएगा।


बनर्जी का लोकतंत्र पर बयान

लोकतांत्रिक युग को 'खत्म' करने वाली बुराइयाँ: बनर्जी

शाह द्वारा संसद में विधेयकों के पेश होने के बाद, ममता बनर्जी ने कहा कि ये विधेयक देश में लोकतांत्रिक युग को 'खत्म' कर देंगे और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को भी 'खत्म' कर देंगे। उन्होंने कहा कि ये विधेयक प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री को अधिक शक्तिशाली बनाएंगे और इसे "सुपर-आपातकाल से भी बड़ा" कदम बताया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट में कहा कि मैं भारत सरकार द्वारा आज पेश किए जाने वाले 130वें संविधान संशोधन विधेयक की निंदा करती हूँ। इसे सुपर-आपातकाल से भी बढ़कर, भारत के लोकतांत्रिक युग को हमेशा के लिए समाप्त करने की दिशा में एक कदम बताकर इसकी निंदा करती हूँ। यह कठोर कदम भारत में लोकतंत्र और संघवाद के लिए मौत की घंटी है।