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मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने ओंकारेश्वर बांध प्रभावितों के मुआवजे पर नोटिस जारी किया

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने ओंकारेश्वर बांध परियोजना से प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा देने की मांग को लेकर दायर अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किया है। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को जवाब देने के लिए कहा गया है। एनबीए ने आरोप लगाया है कि सरकार ने प्रभावित किसानों के लिए मुआवजे की घोषणा की थी, लेकिन अब तक उचित मुआवजा नहीं दिया गया। जानें इस मामले की पूरी जानकारी।
 

उच्च न्यायालय का निर्णय

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने ओंकारेश्वर बांध परियोजना से प्रभावित व्यक्तियों को उचित मुआवजा प्रदान करने की मांग को लेकर नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) द्वारा दायर अवमानना याचिका पर नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) के उपाध्यक्ष और राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजोरा को नोटिस जारी किया।


न्यायमूर्ति डी डी बंसल की एकल पीठ ने राजोरा को नोटिस भेजकर जवाब देने के लिए कहा है।


इससे पहले, 10 जुलाई, 2023 को एनबीए की याचिका का निपटारा करते हुए, न्यायालय ने अतिरिक्त मुख्य सचिव और भोपाल स्थित एनवीडीए के उपाध्यक्ष को निर्देश दिया था कि वे याचिकाकर्ता के अनुरोध पर शीघ्र विचार करें।


एनबीए की अवमानना याचिका

एनबीए की अवमानना याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि मध्यप्रदेश सरकार ने ओंकारेश्वर बांध से प्रभावित किसानों और उनके परिवारों के लिए 7 जून, 2023 को एक विशेष पुनर्वास पैकेज की घोषणा की थी।


इस पैकेज में उन किसानों और उनके बच्चों को 2.5 लाख रुपये का मुआवजा देने का प्रावधान था, जिनके पास कोई भूमि नहीं है।


हालांकि, एनबीए की याचिका के अनुसार, अदालती आदेशों के बावजूद परियोजना से प्रभावित व्यक्तियों को उचित मुआवजा नहीं दिया गया।