मध्य प्रदेश में सांपों की अदालत: अनोखी परंपरा का जश्न
सांपों की अदालत का अनोखा आयोजन
‘सांपों की अदालत’ — यह सुनकर कोई भी हैरान हो सकता है। लेकिन मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के लसूड़िया परिहार गांव में पिछले 150 वर्षों से हर साल दीवाली के अगले दिन एक अनोखी परंपरा का आयोजन किया जाता है, जिसमें सांपों की पेशी होती है और उनसे यह पूछा जाता है कि उन्होंने क्यों डसा।
नाग देवता का आगमन
इस दिन मान्यता है कि नाग देवता सर्पदंश से प्रभावित व्यक्तियों के शरीर में प्रवेश करते हैं और उनके माध्यम से अपनी बात रखते हैं। इस दौरान वे बताते हैं कि उन्होंने व्यक्ति को क्यों डसा था —
- “मेरी पूंछ पर पैर रखा था।”
- “बहुत परेशान करता था, इसलिए काट लिया।”
सांपों की अदालत का संचालन
- अदालत की शुरुआत से पहले सांप की आकृति वाली थाली को नगाड़े की तरह बजाया जाता है।
- जिन लोगों को पहले सांप काट चुका होता है, उनके शरीर में नाग देवता का प्रवेश होने लगता है और वे झूमने लगते हैं।
- पंडितजी उनसे सवाल पूछते हैं कि उन्होंने पीड़ित को क्यों काटा।
- जवाब सुनकर पीड़ित वादा करता है कि वह दोबारा सांप को परेशान नहीं करेगा।
स्थान और परंपरा
- यह अनोखा आयोजन गांव के राम मंदिर में होता है।
- नंदगिरी महाराज बताते हैं कि उनके परिवार की तीन पीढ़ियां इस प्रथा का निर्वहन कर रही हैं।
- नाग देवता की पेशी सुबह से लेकर शाम तक चलती है।
भीड़ का उमड़ना
- हर साल हजारों लोग, खासकर वे जिन्हें पहले सांप ने काटा होता है, यहां आते हैं।
- वे यह जानने की कोशिश करते हैं कि उन्हें नाग ने आखिर क्यों डसा।
- पेशी पर बुलाने के लिए ले कांडी की धुन पर पारंपरिक गीत गाए जाते हैं।
नाग देवता की पीड़ा
एक बार पेशी के दौरान नाग देवता ने कहा —
“तेरे खेत में शांति से रहता था, लेकिन तूने मेरा घर तोड़ दिया। यही सजा दी है। मैं तो तुम्हारे परिवार का हर जगह साथ देता था, फिर तुमने मुझे दूर क्यों कर दिया?”
निष्कर्ष
इसे आप आस्था कहें या अंधविश्वास, लेकिन लसूड़िया परिहार गांव की यह परंपरा आज भी जीवित है और हर साल हजारों लोग नाग देवता के सामने अपनी बात सुनने और मन की जिज्ञासा मिटाने आते हैं।